तेरे वजूद में मै काश यूं उतर जाऊ
तू देखे आइना और मै तुझे नज़र आऊ

दामन पर मेरे पैबंद बहुत हैं
मगर खुदा का शुक्र है धब्बा कोई नहीं

कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने,
मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये...!!!

रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये

तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं

खुद ही मुस्कुरा रहे हो साहिब
पागल हो या मोहब्बत की शुरूआत हुई है

मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था...!!!

तू हमारी बराबरी क्या करेगी ए pagli
हम तो कूलर में भी Bisleri का पानी डालते है

काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते

नफ़रत भी हम हैसीयत देख के करते हैं , फिर
प्यार तो बहुत दूर की बात है ... !!

मेरे प्यार की मजार तो आज भी वहीं है
बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गई है

जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))

बडी अजीब खमोश जंग ह मोहब्बत की
खुद से ही लडते है किसी बेवफा के लिये

इतने भी प्यारे नही हो तुम
ये तो मेरी चाहतों ने सर चढ़ा रखा है तुमको

हो सके तो अब के कोई सौदा न करना;
मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ