शाम को पति के घर आते ही पत्नी ने किच-किच शुरू कर दी
परेशान पति : अरे यार, दिनभर का थका हारा आया हूं पहले फ्रेश तो होने दो
पत्नी : मैं भी तो दिनभर अकेली थी तो मैं भी फ्रेश ही हो रही हूं

मैं हर किसी के लिये, अपने आपको अच्छा साबित नहीं कर सकता। लेकिन मैं उनके लिये बेह्तरीन हूँ, जो मुझे समझते हैं।
इंसान खुद की नजरों में सही होना चाहिये, बाकी दुनिया तो भगवान से भी दु:खी रहती हैं।।

बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है

होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो
ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो
आकाश का सूनापन मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो
जग ने छिना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो ....

मै मज़बूत बहोत हु
लेकिन पत्थर नहीं….।।

तू अगर A for Attitude दिखाएगी ना
तो मैं B for Bhav नही दुंगा

क्या कहा याद कर रहे हो
हाए भूल गए थे क्या

तेरी मेरी ‪‎कहानी‬
जेसे बारिशो‬ का ‪पानी‬

कोई नया जखम नही दिया उसने,
पता करो वो ठीक तो हे?

हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा
चाहे वो फ़ासला ही सही

कोई और तरीक़ा बताओ जीने का... साँसे ले ले कर थक गया हूँ...

बच्चे जब बड़े हो जाते है
बाप के सर पर खड़े हो जाते है।।

उसने पुछा कोई आख़री ख़्वाहिश
ज़ुबा पे फिर तुम आ गयी

जलने लगा है जमाना सारा
क्योंकी चलने लगा है नाम हमारा

सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भीअपनी जिद्द बनालो.!!