हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
हमने दिल वापस मांगा तो वो सर झुका कर बोली , वो तो टूट गया खेलते खेलते ।।
वो आज भी मेरे पासवर्ड में रहती है
जिसे भूलने का दावा मे रोज़ करता हूँ
हम तो आइना है दाग दिखाएंगे चेहरे के
जिसे बुरा लगे वो सामने से हट जाए
पतंग सी है जिंदगी कहा तक जायेगी...
रात हो या उम्र एक न एक दिन कट जायेगी..!!
काबील नजरो के लीये हम जान दे दे पर
कोई गुरुर से देखे ये हमे मंजुर नही
अब तक याद कर रही हो, पागल हो तुम.
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उसने तो तेरे बाद भी हजारों भुला दिय
जब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्त; हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो
अक्सर कहता है दिल काश कोई होता
पार्लर जाके रंग तो गोरा कर लोगी पर क्या करोगी
तुम अपने इस काले दिल का
इतना भी बेदर्द ना बन हमदम मेरे
कभी तो अपना समझा था तुने भी दिल को मेरे
चीर कर बहा दो लहू, दुश्मन के सीनेका...
यही तो मजा है, हिन्दू होकर जीने का..!!!
चलो इतना तो निकला काम बहम आशनाई से; वफ़ा से हम हो गए आशना और तुम बेवफाई से!
जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना