कितनी अजीब हैं मेरे अन्दर की तन्हाई भी
हजारों लोग अपने हैं मगर याद तुम ही आते हो
कितनी अजीब हैं मेरे अन्दर की तन्हाई भी
हजारों लोग अपने हैं मगर याद तुम ही आते हो
हीरो बनने के लीये जीगर की जरुरत
पडती है और जब
जीगर हो तो भरी बनघुक
का कया काम ...!!
साँवरिया थोङा सा ही सही तुम जो प्यार जता दो
सुखी पङी दिल की जमीन पर बारिश हो जाये
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये...... वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है !!
तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है,
ख़बर तक तुम्हारी अब दूसरों से आती है..
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है, प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं..
मोहब्बत जीत जाएगी अगर तुम मान जाओ तो
मेरे दिल मैं तुम ही तुम हो अगर तुम जान जाओ तो
मैंने हर दर्द में इंसान को ही मरते देखा है,
कम्बख्त इश्क़ तुझे मौत क्यों नहीं आती..
उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है
कैसे ये कह दूं की "तुमसे मोहब्बत नहीं"
मुँह से निकला झूठ "आँखों से पकड़ा जायेगा"
खामोश हूँ मै बस तुम्हारी हर खुशी के लिए
पर ये भी ना सोचो कि मेरा दिल दुखता ना होगा
हमें तो कब से पता था के तू बेवफा है
तुझे चाहा इसलिए था की शायद तेरी फितरत बदल जाये
होती रहती है आशिकों से इश्क में गलतियाँ,
कोई जन्म से हीं मजनु और रांझा नहीं होता..
उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है
ये तो शौक है मेरा दर्द लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है