बहाने फिज़ूल न बनाओ मुझसे खफा होने के
मेरा गुनाह बस इतना है कि तुझे चाहते है हम

मूझे उसकी ये नादान अदा बहुत भाती है।नाराज़ मुझसे होती है और गुसा सबको दिखातीहै।

अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!

हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती हैं

भरी बरसात में उड़ के दिखा माहिर परिंदे
सूखे मौसम में तो तिनके भी सफ़र कर लेते हैं

मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...

हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में

हाथ उठायुं और तेरा नाम ना लूँ भला मुमकिन है
तू मेरी दुआ में शामिल है आमीन की तरह

नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना हमसे देखा नहीं जाता

बोला था ना कि भाई की एंट्री भले ही लेट होगी
लेकिन साला सबसे ग्रेट होगी देख ले अब

दीखाने के लीए तो हम भी बना सकते है ताजमहल
मगर मूमताज को मरने दे हम वो शाहजहा नही

मै वो खेल नही खेलती जिसमे जितना फिक्स हो
खेलने का मजा तब है जब हारने का रिस्क हो

दीखाने के लीए तो हम भी बना सकते है ताजमहल
मगर मूमताज को मरने दे हम वो शाहजहा नही

जीत हासिल करनी हो तो काबिलीयत बड़ाओ.किस्मत की रोटी तो कुत्ते को भी नसीब
होती है...