अच्छा हैं ये दिल अंदर होता हैं
बाहर होता तो हमेशा पट्टियों में ही लिपटा रहता

अपने दुश्मन को भी साये में लिए बैठे हैं
हमने पाया है विरासत में मोहब्बत करना

बड़ा अजीब जहर है तेरी यादों में
लगता है सारी उम्र गुजर जायेगी मुझे मरते मरते

रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ तो देखिये
चोट लगती है हमें और चिल्लाते हैं माँ

मुहब्बत कर लीजिये बेइंतहा किताबो से
एक यही हैं जो अपनी बातो से पलटा नही करती

तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो
दोस्त ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता

नफरतों को जलाओ मोहब्बत की रोशनी होगी
वरना इंसान जब भी जले हैं खाक ही हुये हैं

शब-ए-इंतज़ार आखिर कभी होगी मुख़्तसर भी
ये चिराग बुझ रहे हैं मेरे साथ जलते जलते

मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो
दिल बैचैन हैं बहुत कहीं तुम उदास तो नहीं

मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो
दिल बैचैन हैं बहुत कहीं तुम उदास तो नहीं

मोहब्बत तेरी सूरत से नही तेरे किरदार से हे
शौक ऐ हूस्न होता तो बाजार चले जाते

आशिक जलाए नही द्फनाय़े जाते हैं,
कब्र खोद कर देखो इन्तज़ार करते पाये जाते हैं ।

बेमतलब की जिंदगी का
अब सिलसिला ख़त्म..!
अब जिस तरह की दुनियां,
उस तरह के हम...!
p.

सुना था दिल समंदर से भी गहरा होता है हैरान हूँ
समाया नही इसमे तेरे सिवा और कोई

मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है की
कोई मुझे छोड़ सकता है लेकिन भूल नही सकता