बहुत ख़ास थे कभी नजरो मे किसी के हम भी
मगर नजरो के तकाजे बदलते देर कहाँ लगती है

हम मतलबी नहीं कि चाहने वाले को धोखा दें
बस हमें समझना हर किसी के बस की बात नही

वैसे तो लोग प्यार झूठ से करते बहुत है
बात दिल दुखाने की हो तो सच बोलते बहुत है

अजीब दास्तान हे इस छोटे से दिल की
मरम्मत हम करे सुधारे भी हम ओर तोड़ कोई ओर दे

वो मैय्यत पे आए मेरी,और झुक के कान में बोले,
सच में मर गए हो या,कोई नया तमाशा है...!!

सुनो मोहब्बत एक
बार और करनी
है तूमसे.!
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लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे !!

ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं
पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै

अच्छा_सुनो.....
मुझे बस इतना बता दो...
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इंतजार करू या बदल जाऊ तुम्हारी_तरह...
!!
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"शीकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नही...."

वो थी वो है वहीं हमेंशा रहेगी जब दिल एक है
दिल में रहने वाली भी वो एक हीं रहेगी

सुन कर ग़ज़ल मेरी...
वो अंदाज़ बदल कर बोले..
कोई छीनो कलम इससे,
ये तो जान ले रहा है...

कन्हैया इतनी मनमानियाँ भी अच्छी नहीं होती
तुम सिर्फ अपने ही नहीं मेरे भी हो

ये नक़ाब तुम्हारे झुठ का उतरेगा जिस दिन खुद से नज़रें मिलाने को तरसोगे उस दिन !!

हमारे तजूँबे हमें , ये भी सबक सीखाता है,
की जो मख्खन लगाता है, वो ही चुना लगाता ह

प्रत्येक प्रेमकथा सुंदर ही होती है
और हमारे वाली मुझे सबसे ज्यादा पसंद है।