किसी ने मुझसे कहा इश्क़ धीमा जहर है
मेने भी कहा दिया मुझे मारने की जल्दी नही है

वो आई मेरे मज़ार पर; अपने महबूब के साथ; कौन कहता है कि; मरने के बाद जलाया नहीं जाता।

मेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायद
वरना यूँ छटपटाना मेरी आदत तो ना थी

करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख लेना...!!बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो...!!!

तेरे इतने दीवानो के बिच में कहा से नजर आऊंगा
चल छोड़ आज से मे तुजे भूल ही जाऊँगा

तेरे इतने दीवानो के बिच में कहा से नजर आऊंगा
चल छोड़ आज से मे तुजे भूल ही जाऊँगा

मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुम बेवफा निकले
अफसोस तो इस बात का है कि लोग सच निकले

हालात के साथ वों बदलते हे जो कमज़ोर होते हें
हम तो हालात को ही बदल के रख देते हैं

Anjam की परवाह होती तो मे ये इश्क छोड़ देता
ये Ishq zid करवाता है और जिद्द का तो मैं पक्का हु

हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…!!!!

मुकम्मल छोड़ दो या मेरी हो जाओ मुझे
अच्छा नहीं लगता तुम्हे खोना-
तुम्हे पाना

आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई, ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें ..!!

कोशिश के बाद भी जो मुकम्मल ना हो सके,
तेरा नाम भी उन्ही ख्वाहिशों में शामिल है !!

नही हो सकती ये महौब्बत तेरे सिवा किसी और से... बस इतनी सी ही बात है...समजते क्यों नही..

माना की तु किसी बेगम से कम नही
but तेरी baat में तब तक dum नहीं
जब तक तेरे बादशाह हम नहीं