दर्द कितने हैं यह बता नहीं सकता; ज़ख़्म हैं कितने यह भी दिखा नहीं सकता; आँखों से समझ सको तो समझ लो; आँसू गिरे हैं कितने यह गिना नहीं सकता।

जाने क्यों दुनियां में ऐसा होता है; जो सब को ख़ुशी दे वही क्यों रोता है; उम्र भर जो साथ ना दे सके; वही ज़िंदगी का पहला प्यार क्यों होता है।

एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए! वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए! कभी तो समझो मेरी खामोशी को! वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें!

मैंने रब से कहा वो छोड़ के चली गई;
पता नहीं उसकी क्या मजबूरी थी;
रब ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं;
यह कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।

मैंने रब से कहा वो चली गयी मुझे छोड़कर उसकी जाने क्या मज़बूरी थी; रब ने मुझसे कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं यह कहानी मैंने लिखी ही अधूरी थी।

जो जितना दूर होता है नज़रो से उतना ही वो दिल के पास होता है
मुस्किल से भी जिसकी एक ज़लक देखने को ना मिले वही ज़िंदगी मे सबसे ख़ास होता है

दिल की हर बात ज़माने को बता देते है अपने हर राज़ से परदा उठा देते है
चाहने वाले हमे चाहे या ना चाहे हम जिसे चाहते है उस पर जान लूटा देते है

एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए; कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए; उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था; वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।

अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे; इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे; उनसे क्या गिला करें भूल तो हमारी थी; जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे।

बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सजा लगती है; यह साँस भी जैसे मुझ से खफा लगती है; तड़प उठते हैं दर्द के मारे; ज़ख्मों को मेरे जब तेरे दीदार की हवा लगती है।

छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह, कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे;
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह, कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!

दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया; खाली ही सही हाथों में जाम तो आया; मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने; यूँ ही सही उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।

दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता; रोता है दिल जब वो पास नहीं होता; बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में; और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।

एक दिन जब हुआ प्यार का अहसास उन्हें; वो सारा दिन आकर हमारे पास रोते रहे; और हम भी इतने खुद गर्ज़ निकले यारों कि; आँखे बंद कर के कफ़न में सोते रहे।