खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है
खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है
आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा है; तेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा है; फिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकर; शायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं।
हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले; न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले; है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें; तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
तेरा दिल उदास क्यों है?
तेरी आँखों में प्यास क्यों है?
जो छोड़ गया तुझे मझदार में ,
उससे मिलने की आस क्यों है ?
जो दे गया दर्द ज़िन्दगी भर का,
वही तेरे लिए ख़ास क्यों है ??
उसको चाहा तो बहुत मगर इज़हार करना नहीं आया; कट गयी उम्र सारी मगर प्यार करना नहीं आया; उसने कुछ माँगा भी तो माँग ली जुदाई हमसे; हम करते भी क्या क्योंकि हमें इंकार करना नहीं आया।
तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर हैं कि मर जायें; वही आँसू वही आहें वही ग़म है जिधर जायें; कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता; वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जायें जिधर जायें।
तेरे इश्क की दुनिया में हर कोई मजबूर है; पल में हँसी पल में आँसू ये चाहत का दस्तूर है; जिसे मिली न मोहब्बत उसके ज़ख्मो का कोई हिसाब नहीं; ये मोहब्बत पाने वाला भी दर्द से कहाँ दूर है।
तेरी यादों के सितम सहते हैं हम; आज भी पल-पल तेरी यादों में मरते हैं हम; तुम तो चले गए बहुत दूर हमको इस दुनियां में तन्हा छोड़कर; पर तुम क्या जानो बैठकर तन्हाई में किस कदर रोते हैं हम।
पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है
हँसने वालो को क्या पता रोने वाला किस कदर रोया है
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है
उसे कह दो वो मेरा है किसी और का हो नहीं सकता; बहुत नायाब है मेरे लिए वो कोई और उस जैसा हो नहीं सकता; तुम्हारे साथ जो गुज़ारे वो मौसम याद आते हैं; तुम्हारे बाद कोई मौसम सुहाना हो नहीं सकता।
दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते; दर्द अगर आँचल होता तो अपने सर पर सजा लेते; दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते; और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती तो उसको चाहत-ऐ ला हासिल बना लेते।
तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये; सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये; तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये; तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये।
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है जिसका रास्ता बहुत खराब है
मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है
काटो के बदले फूल क्या दोगे आँसू के बदले खुशी क्या दोगे
हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे
रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले लड़के की नजरें अचानक एक बुजुर्ग दंपति पर पड़ी
उसने देखा कि वो बुजुर्ग पति अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर उसे सहारा देते हुए चल रहा था
थोड़ी दूर जाकर वो दंपति एक खाली जगह देखकर बैठ गए
कपड़ो केपहनावे से वो गरीब ही लग रहे थे
तभी ट्रेन के आने के संकेत हुए और वो चाय वाला अपने काम में लग गया
शाम में जब वो चाय वाला वापिस स्टेशन पर आया तो देखाकि वो बुजुर्ग दंपति अभी भी उसी जगह बैठे हुए है
तभी वो उन्हें देखकर कुछ सोच में पड़ गया
देर रात तक जब चाय वाले ने उन बुजुर्ग दंपति को उसी जगह पर देखा तो वो उनके पास गया और उनसे पूछने लगा
बाबा आप सुबह से यहाँ क्या कर रहे है आपको जाना कहाँ है
बुजुर्ग पति ने अपना जेब से कागज का एक टुकड़ा निकालकर चाय वाले को दिया और कहा:-
बेटा हम दोनों में से किसी को पढ़ना नहीं आता इस कागज में मेरे बड़े बेटे का पता लिखा हुआ है
मेरे छोटे बेटे ने कहा था कि अगर भैया आपको लेने ना आ पाये तो किसी को भी ये पता बता देना आपको सही जगह पहुँचा देगा
चाय वाले ने उत्सुकतावश जब वो कागज खोला तो उसके होश उड़ गये उसकी आँखों से एकाएक आंसूओं की धारा बहने लगी
उस कागज में लिखा था कि कृपया इन दोनों को आपके शहर के
किसी वृध्दाश्रम में भर्ती करा दीजिए बहुत बहुत मेहरबानी होगी
दोस्तों धिक्कार है ऐसी संतान पर इसके बजाय तो बाँझ रह जाना अच्छा होता है
Na Koi Ilzaam Na Koi Tanz Na Koi Ruswai Mir; Din Bohat Hogaye Yaron Ne Koi Inayat Nahi Ki!