वो रात दर्द और सितम की रात होगी; जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी; उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर; कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।

दुनिया में किसी से कभी प्यार मत करना; अपने अनमोल आँसू इस तरह बेकार मत करना; कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं; फूलों पर कभी इस तरह तुम ऐतबार मत करना।

ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है; जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है; कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं; और कभी बरसों की इबादत भी हार जाती है।

एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा; मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा; भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ; जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा।

हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है,
क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की !!

लौट जाती है दुनिया गम हमारा देख कर; जैसे लौट जाती हैं लहरें किनारा देखकर; तुम कंधा ना देना मेरे जनाज़े को; कहीं फिर से ज़िंदा ना हो जाऊँ तेरा सहारा देखकर।

अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने दे; तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे; ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको; सोचता हूँ कहूँ तुझसे मगर जाने दे।

उन गलियों से जब गुज़रे तो मंज़र अजीब था; दर्द था मगर वो दिल के करीब था; जिसे हम ढूँढ़ते थे अपनी हाथों की लकीरों में; वो किसी दूसरे की किस्मत किसी और का नसीब था।

ज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा हो; ज़रूरी नहीं कि जिसके हम हों वो भी हमारा हो; कुछ कश्तियाँ डूब जाया करती हैं; ज़रूरी नहीं कि हर कश्ती के नसीब में किनारा हो।

बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या मांगू; ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या मांगू; वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें; अपने अकेले के लिए कायनात क्या मांगू।

तनहाइयों के शहर में एक घर बना लिया; रुसवाइयों को अपना मुक़द्दर बना लिया; देखा है हमने यहाँ पत्थर को पूजते हैं लोग; इसलिए हमने भी अपने दिल को पत्थर बना लिया।

एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गया; वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया; नोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबास; ज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया।

वो हर बार अगर रूप बदल कर न आया होता,
धोका मैने न उस शख्स से यूँ खाया होता,
रहता अगर याद कर तुझे लौट के आती ही नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैने तुझे यु न गवाया होता।

तुम्हारे प्यार में हम बैठें हैं चोट खाए! जिसका हिसाब न हो सके उतने दर्द पाये! फिर भी तेरे प्यार की कसम खाके कहता हूँ! हमारे लब पर तुम्हारे लिये सिर्फ दुआ आये!

यह दुनिया पत्थर है जो जज़्बात नहीं समझती; दिल में जो है छुपी वो बात नहीं समझती; यह चाँद भी तनहा है तारों की बारात में; दर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती।