मुझे हाथ की रेखाओं पर इसीलिए विश्वास नहीं है
कैद ये मेरी मुठ्ठी में है क्या खोलेगी किस्मत मेरी
मुझे हाथ की रेखाओं पर इसीलिए विश्वास नहीं है
कैद ये मेरी मुठ्ठी में है क्या खोलेगी किस्मत मेरी
सबके दुःख हैं एक से मगर हौंसले हैं जुदा-जुदा; कोई टूट कर बिखर गया तो कोई यूँ ही मुस्कुरा कर चल दिया।
हाल तो पुंछ लू तेरा ...
पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी.......!!
ज़ब ज़ब सुनी हैं .....
कमबख्त मोहब्बत ही हुई हैं ......!!
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुफ्त लेने को
कभी मेरी आँखों में ठहर के देखो ये बेइंतहा बरसती है
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि
मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का
टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे अपनों ने आज उदास कर दिया
वरना लोग हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे
मैं सहंम जाता हूँ किसी भी पायल की
आवाज सुनकर !
वो याद आता है जिस बैवफा ने पैरों से
दिल रोंदा था !!
तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा
वरना तू सुर्खियों में रहे तेरी इतनी औकात नहीं
G.R..s
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता हमारी हालात तुम्हारी होती; जो रात गुज़ारी मर कर वो रात तुमने गुज़ारी होती।
शायरी वो नही लिखते हैं जो शराब से नशा करते हैं..♡
शायरी तो वो लिखते हैं जो यादों से नशा करते हैं..♡♡♡
नही देखा मैंने कभी भगवान को लेकीन ईसकी जरुरत क्या होगी
मां तेरी सुरत से अलग उस्की सुरत क्या होगी
बेखुदी ले गई कहाँ हमको; देर से इंतज़ार है अपना; रोते फिरते हैं सारी-सारी रात; अब यही बस रोज़गार है अपना।
आईना बन के बात करती धूप दिल की दीवार पर बरसती धूप; मेरे अन्दर भी धूप का आलम मेरे बाहर भी रक्स करती धूप!
आईना बन के बात करती धूप दिल की दीवार पर बरसती धूप; मेरे अन्दर भी धूप का आलम मेरे बाहर भी रक्स करती धूप!
उसने तो कर ही लिए किनारे कामिल से कुछ इस कदर
तदबीरें सकून की सीखनी पढ़ें किन्ही गैरों से ख़ुदा न करे