बार बार क्यू पूछते हो मुकाम अपना
कह दिया ना जिदंगी हो तुम
बार बार क्यू पूछते हो मुकाम अपना
कह दिया ना जिदंगी हो तुम
हर रोज होते है ईमान के सौदे
जिस शख्स को देखो सौदागर हो चला है
एक मेरी जान है लबों तक आ पहुँची है
एक तुम हो अगर मगर पर अटके हो
सोने के जेवर ओर हमारे तेवर
लोगो को अक्सर बहोत मेंहगे पडते हे
सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है
हफ्ते भर की थकान मिटाने वाला ये रविवार
मेरी माँ के लिए नही आता कभी
जिस घाव से खून नहीं निकलता
समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
जानु बोलने वाली लड़की हो या ना हो
पर ओये हिरो बोलने वाली माँ जरूर है
जो आँखें मुझे देख कर झुक गयीं
यकीनन उसने कभी मुझे चाहा तो ज़रूर होगा
ज़माना कुछ भी कहे उसका एहतेराम ना कर
जिसे ज़मीर ना माने उसे सलाम ना कर
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते
मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है
किसीका हाथ अभी मेरे सर के नीचे है
कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक़ात उसने
की मुद्दत से ढूंढ़ रहा हू कसूर अपना
जब करो दिल से करो जैसे इबादत की जाय
यार लानत है जो मतलब से मुहब्बत की जाय
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
Er kasz