लौट आती है बेअसर मेरी माँगी हुई हर दुआ...
जाने कौन से आसमान पर मेरा खुदा रहता है।

मुझे ढूंढने की कोशिश न किया कर पगली
तूने रास्ता बदला मैंने मंज़िल ही बदल दी
er kasz

अक्सर तन्हाई में सोच कर हँस देता हूँ की मुझे
सब याद है लेकिन मैं किसी को याद नही

उजाले अपनी यादों के मेरे साथ रहने दो
ना जाने की किस गली में जिंदगी की साम हो जाए

तुम गर्दन उठा कर भी जी सकते हो दुनिया में
बस एक दिन अपना मोबाइल घर पर ही भूल जाना

यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है
G.R..s

चैन मिलता था जिसे आके पनाहों में
मेरी...
आज देता है वही अश्क निगाहों में
मेरी....

उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे
बेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है

अच्छे ख़ासे बैठे बैठे गुम हो जाती हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहती तुम हो जाती हूँ

फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे खुदा
ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं लगती

कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा नही
Er kasz

ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िन्दगी में
बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा ऐ हमनशीं
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ

सोचता हु अपने दिल को टुटा ही रहने दू
शायरी भी हो जाती है और सबका दिल भी जीत लेता हूँ

शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों..
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ...