जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने होते हैं; कुछ अपने कुछ बेगाने होते हैं; प्यार से सँवर जाती है ज़िंदगी; बस प्यार से रिश्ते निभाने होते हैं!

एहसास बहुत होगा जब छोड़ कर जायेंगे; रोएंगे बहुत मगर आंसू नहीं आयेंगे; जब साथ कोई न दे तो आवाज़ हमें देना; आस्मा पर होंगे तो भी लौट आयेंगे!

आपकी पसंद हमारी चाहत बन जाये; आपकी मुस्कुराहट दिल की राहत बन जाये; खुदा खुशियों से इतना खुश कर दे आपको; कि आपको खुश देखना हमारी आदत बन जाये!

लोग रिश्ते बना कर यूँ तोड़ जाते हैं; बेवजह हमसे यूँ ही रूठ जाते हैं; मिलने पर राह में अजनबी कहते हैं; लगता है शायद यही दुनिया का दस्तूर कहलाता है।

नहीं बन जाता कोई अपना यूँ हीं दिल लगाने से; करनी पड़ती है दुआ रब से किसी को पाने में; रखना संभाल कर ये रिश्ते अपने; टूट ना जायें ये किसी के बहकाने से।

यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए; कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए; रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं; बस दिलों में प्यार चाहिए उन्हें निभाने के लिए।

दौलत की भूख ऐसी थी कि कमाने निकल गए; दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए; बच्चों के साथ रहने की फुर्सत ना मिल सकी; और जब फुर्सत मिली तो बच्चे खुद ही दौलत कमाने निकल गए।

वक्त बदल जाता है इंसान बदल जाते हैं; वक्त वक्त पे रिश्तो के अंदाज बदल जाते हैं; कभी कह दिया अपना तो कभी कर दिया पराया; दिन और रात की तरह जिन्दगी के ऐहसास बदल जाते हैं।

लोग अक्सर कहते हैं I need a break. मगर ब्रेक चाहिए कहाँ? ज़ुबान पर? पैरों पर? दिमाग़ पर? या रिश्तों पर?

इंसान मुसीबतों से नहीं हारता... वो उस समय हार जाता है जब मुसीबतों में अपने साथ छोड़ देते हैं।

मुलाकातें जरूरी हैं अगर रिश्ते निभाने हैं वरना लगातार भूल जाने से तो पौधे भी सूख जाते हैं।

जीवन में ज़ख़्म बड़े नहीं होते उनको भरने वाले बड़े होते हैं; रिश्ते बड़े नहीं होते लेकिन उनको निभाने वाले लोग बड़े होते हैं।

रिश्ता बनाना इतना आसन है जैसे मिट्टी पर मिट्टी से लिखना; और; रिश्ता निभाना इतना मुश्किल है जैसे पानी पर पानी से लिखना।

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम; जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम; छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर; जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।

कोई टूटे तो उसे बनाना सीखो; कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो; रिश्ते तो मिलते हैं मुक़द्दर से बस; उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो।