मतलब की दुनिया थी इसलिए छोड दिया सबसे मिलना
वरना ये छोटी-सी उमृ तन्हाई के काबिल नहीं थी

तमाशा देख रहे थे जो कभी मेरे डूबने का मंज़र देखकर
आज तलाश में मेरी निकले हैं कश्तियाँ लेकर

जरूरी नहीं जो खुशि दे उसीसे प्यार करो
सच्ची मुहोब्बत तो अक्सर दिल तोडने वालों से ही होती है

देखी जो नब्ज मेरी हँस कर बोला वो हकीम
जा जमा ले महफिल दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है

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बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी, लेकिन समय सबके पास था। आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।

मोबाइल पर whatsapp और facebook चलाते चलाते समझ आ गया
कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगकर गलती नहीं की थी

बीते हुए कुछ दिन ऐसे हैं; तन्हाई जिन्हें दोहराती है; रो-रो के गुजरती हैं रातें; आंखों में सहर हो जाती है!

कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं; इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं; झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी; इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।

हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है; मेरी ज़िंदगी की बस यही एक कहानी है; मिटा देते सनम के हर दर्द को सीने से; पर ये दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी है।

छोटी सी ज़िन्दगी में अरमान बहुत थे; हमदर्द कोई न था इंसान बहुत थे; मैं अपना दर्द बताता भी तो किसे बताता; मेरे दिल का हाल जानने वाले अनजान बहुत थे।

लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है; मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है; गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर; लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है!

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गये; जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गये; मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने; जैसे कुछ जरुरी था जो वो हमें बताना भूल गये; वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था हमारी बेबसी पर; उनके आंसू तो वहीं रह गये वो बाहर ही आना भूल गये।

तुम अगर ख्वाब हो
तो नींद हमें भी बहुत गहरी आती है

है कोई वकील इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको

दामन पर मेरे पैबंद बहुत हैं
मगर खुदा का शुक्र है धब्बा कोई नहीं