दिल को क्या हो गया... दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने; क्यों है ऐसा उदास क्या जाने; कह दिया मैंने हाल-ए-दिल अपना; इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने; जानते जानते ही जानेगा; मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने; तुम न पाओगे सादा दिल मुझसा; जो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने।

दिल को क्या हो गया... दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने; क्यों है ऐसा उदास क्या जाने; कह दिया मैंने हाल-ए-दिल अपना; इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने; जानते जानते ही जानेगा; मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने; तुम न पाओगे सादा दिल मुझसा; जो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने।

कोई चारा नहीं कोई चारा नहीं दुआ के सिवा; कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा; मुझसे क्या हो सका वफ़ा के सिवा; मुझको मिलता भी क्या सज़ा के सिवा; कोई... बरसरे-साहिले मुकाम यहां; कौन उभरा है नाखुदा के सिवा; कोई... दिल सभी कुछ ज़ुबान पर लाया; इक फ़क़त अर्ज़े-मुद्दा के सिवा; कोई...

बहुत महंगे किराए.... बहुत महंगे किराए के मकाँ से; चलो आओ चलें अब इस जहां से; यूँ ही तुम थामे रहना हाथ मेरा; हमे जाना है आगे आसमां से; ये तुम ही हो मेरे हमराह वरना; मेरे पैरों में दम आया कहाँ से; मेरी आँखों से क्या ज़ाहिर नहीं था; मैं तेरा नाम क्या लेता जुबां से।

कोई हँस रहा है... कोई हँस रहा है कोई रो रहा है; कोई पा रहा है कोई खो रहा है; कोई ताक में है किसी को है गफ़लत; कोई जागता है कोई सो रहा है; कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई; कोई बीज उम्मीद के बो रहा है; इसी सोच में मैं तो रहता हूँ अकबर ; यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है

तेरे दर से उठकर... तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं; चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं; अगर तू ख़फा हो तो परवाह नहीं; तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं; तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे; कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं; सम्भाले तो हूँ खुदको तुझ बिन मगर; जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं।

गुलशन है अगर गुलशन है अगर सफ़र जिंदगी का; तो इसकी मंजिल समशान क्यों है; जब जुदाई है प्यार का मतलब; तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है; अगर जीना ही है मरने के लिए; तो जिंदगी ये वरदान क्यों है; जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल; आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है।

​वो मेहँदी वाले हाथ​...​​वो मेहँदी वाले हाथ मुझे दिखा के रोये;अब मैं हूँ किसी और की हूँ मुझे ये बता के रोये;​पहले कहते थे कि नहीं जी सकते तेरे बिन;आज फिर वही बात वो दोहरा के रोये;​कैसे कर लूं उनकी मोहब्बत पे शक यारों;वो भरी महफ़िल में मुझे गले लगा के ​रोये।

चैन मिल जाए..... कम नहीं मेरी ज़िन्दगी के लिए; चैन मिल जाए दो घडी के लिए; दिले-ज़ार कौन है तेरा; क्यों तड़पता है यूं किसी के लिए; चैन मिल जाए... कितने सामान कर लिए पैदा; इतनी छोटी सी ज़िन्दगी के लिए; चैन मिल जाए.... ऐसा फ़ैयाज़ ग़म ने घेरा है; लब तरस ही गए हंसी के लिए; चैन मिल जाए....

इश्क में जीत के आने​...​​​इश्क में जीत के आने के लिए काफी हूँ;​​मै अकेला ही जमाने के लिए काफी हूँ​;​​मेरे हर हकीकत को मेरे ख्वाब समझने वाले​;​​मै तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ​;​​मेरे बच्चो मुझे दिल खोल के तुम खर्च करो;​​मै अकेला ही कमाने के लिए काफी हूँ।

मानों घर भर भूल बैठा... मानों घर भर भूल बैठा था ठहाकों का हुनर; खिलखिलाने की वजह बच्चे की किलकारी बनी; आप जैसी ही तरक्की मैं भी कर लेता मगर; मेरे रस्ते की रूकावट मेरी खुद्दारी बनी; वो नज़र अंदाज़ कर देती है औलादों का जुर्म; बाँध कर पट्टी निगाहों पर जो गांधारी बनी।

दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना... दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना; मुस्कुराते हुए रुखसत करना; अच्छी आँखें जो मिली हैं उसको; कुछ तो लाजिम हुआ वहशत करना; जुर्म किसका था सज़ा किसको मिली; अब किसी से ना मोहब्बत करना; घर का दरवाज़ा खुला रखा है; वक़्त मिल जाये तो ज़ह्मत करना।

​उनको देखने से.​..​ उनके ​देखने से जो आ जाती है मुँह पे रौनक; वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है; देखिए पाते हैं उशशाक़ बुतों से क्या फ़ैज़; इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है; हमको मालूम है जन्नत की हक़ीकत लेकिन; दिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है।

बड़ी मुश्किल से बना हूँ.... बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद; मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद; तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन; अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद; अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को; जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद।

अपने जज्बातों को अपने जज्बातों को नाहक ही सजा देता हूँ; जब भी होती है शाम चिरागो को बुझा देता हूँ; कह नहीं पाता हाले दिल तुम से कभी मैं; वर्ना जर्रे-जर्रे को हर किस्सा सुना देता हूँ; जब राहत मिलती नहीं किसी भी तरह से मुझे; लिखता हूँ हथेली पे तेरा नाम और मिटा देता हूँ।