ऐसी बाणी बोलियें की सबसे झगड़ा होए; पर उससे झगड़ा न करिये जो अपने से तगड़ा होए!

ना जाने कब कोई अपना रूठ जाए; ना जाने कब कोई अश्क आँखों से छूट जाए; कुछ पल हमारे साथ भी मुस्कुरा लिया करो ए दोस्त; न जाने कब तुम्हारे दांत टूट जाएँ!

​ना वक्त इतना हैं कि सिलेबस पूरा किया जाए​;​ ना तरकीब कोई की एग्जाम पास किया जाए​;​ ना जाने कौन सा दर्द दिया है इस पढ़ाई ने​;​ ना रोया जाय और ना सोया जाए​।

ऐ जिन्दगी तु ही बता मैं तेरा गुनहेगार तो नहीं
फिर क्यू तु हमेशा मुझ से रूठी रूठी सी रहती है

हर तरफ पढ़ाई का साया है; किताबों में सुख किसने पाया है; लड़के तो जाते हैं ट्यूशन लड़कियां देखने; और सर कहते हैं देखो बरसात में भी लड़का पढ़ने आया है!

हम समझते कम हैं समझाते ज्यादा हैं; इसलिए सुलझते कम हैं उलझते ज्यादा हैं!

ए खुदा आज ये फ़ैसला करदे उसे मेरा या मुझे उसका करदे
बहुत दुख सहे हे मैने कोई ख़ुसी अब तो मूक़दर करदे
बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना जुदाई

झटका कुछ इस तरह दिया सनम ने अपनी जुल्फों को; इकठ्ठे 7 जूएँ मेरे दामन में आ गिरे!

लड़की वाले: बेटा कितना कमा लेते हो
मैं: जी इस महीने 2 करोड़ कमाए
लड़की वाले: फिर क्या किया
मैं: फिर तीन पत्ती ऐप हैंग हो गया

खुशबु ने फूल को ख़ास बनाया; फूल ने माली को ख़ास बनाया; चाहत ने मोहब्बत को ख़ास बनाया; और कमबख्त मोहब्बत ने कितनो को देवदास बनाया!

मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले
फिर वही गोद फिर वही माँ मिले

ना ही हम नेता हैं और ना ही गुंडे पर
जहां जाते है वहां लोग हाथ जोड़ते है क्युकी हम उनकी इज्जत करते है

दुनिया में सब चीज मिल जाती है
केवल अपनी गलती नहीं मिलती

मैंने उसे कभी हासिल ही नहीं किया
फिर भी हर लमहा लगता है कि मैंने उसे खो दिया

लोग कहते हैं निकम्मेपन की पैदाइश है शायरी
तो फिर इस निकम्मेपन से काम कौन सा है बढिया