तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला

हर सफल आदमी के पीछे औरत खड़ी होती है
और असफल आदमी के सामने रिश्तेदार

किस किस का नाम लें अपनी बरबादी मेँ; बहुत लोग आये थे दुआयेँ देने शादी मेँ!

आज कल सब कहते हैं मैं बुझा-बुझा सा रहता हूँ; अगर जलता रहता तो कब का खाक हो जाता!

ख़त लिखता हूँ खून से स्याही ना समझना; किसी मरीज़ का सैंपल आया था मेरा न समझना!

भरी दोपहर में पडोसी के घर की काल बेल दबाकर भाग जाना भी
एक तरह का हिट एंड रन ही है

कमाल तेरे नखरे कमाल का तेरा स्टाइल है; बात करने की तमीज नहीं और हाथ में मोबाइल है!

चाहते तो दोनों बहुत हैं एक दूसरे को मगर
ये हकीक़त मानता वो भी नहीं और मैं भी नहीं

मुस्कुराना तो हर खूबसूरत लड़की की अदा है; और जो उसे प्यार समझे। वो सबसे बड़ा गधा है।

ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये जनाब; खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में!

छेड़ दिया इश्क मैंने आतंकियों के देश में; दुश्मन भी प्यारा लगा हिना रबानी के वेश में।

उधर आप मजबूर बैठे हैं; इधर हम खामोश बैठे है; बात हो तो कैसे हो; जब दोनों तरफ दो कंजूस बैठे हैं!

कैसे मुमकिन था किसी और दवा से इलाज़? अय ग़ालिब। इश्क का रोग था; . . . माँ की चप्पल से ही आराम आया।

लाइलाज थे हम इलाज़ किसी डॉक्टर के पास न था; इश्क का रोग था ए दोस्त; माँ की चप्पल से ही आराम आ गया!

कभी खुली हवा मे घुमते थे; अब ए. सी. की आदत लगायी है! धुप हम्से सहन नही होती; हर कोई देता यही दुहाई है!