लोग तो लिखते रहे मेरी पर ग़ज़ल
तुमने इतना भी ना पूछा, तुम उदास क्यों हो

तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है

तुम्हे कया पता किस दर्द में हुँ में
जो कभी लिया नही उस कर्ज में हुँ में

जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना

कभी भी अपने पास रखे तीन संसाधनों को मत भूलिए: प्रेम प्रार्थना और क्षमा।

जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना

पतंग सी हैं जिंदगी कहाँ तक जाएगी
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी

रगों मे दौडने फिरने के नहीं हम कायल
जो आॅख से ही न टपके वो आंंसू क्या है

बहुत सी चीज़ें हैं जो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ पर समझ नहीं आता कैसे कहूँ।

हम तो अब भी खडे है तेरे इनतजार मे,
उसी राह मे बेसबब बेइनतहा मोहब्बत लिए..

वो पूछते है इतने गम मे भी खुश कयु हो
मैने कहा प्यार साथ दे न दे यार साथ है.

बताँऊ तुम्हें एक निशानी उदास लोगों की
कभी गौर करना यें हसंते बहुत हैं

तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से,
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है.!!

लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं

खींच लेती है मुझे उसकी मोहब्बत वरना
मै बहुत बार मिला हूँ आखरी बार उससे