"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..
"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है..
क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता है….!
गुड नाईट
मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो....!
क्या उसे नहीं मालूम की उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता....!
शोख नहीं है मुझे फ़ोटो खिंचाने का, पर क्या करू, मेरी रानी को मेरा फ़ोटो देखे बिना नींद नहीं आती....
तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है
यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।
मैंने ये सोचकर उसकी सारी बातो को सचमान लिया की
ईतनी अच्छी है तो झुठ कैसे बोलेगी
सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद
जान जब प्यारी थी कम्बखत उस वक्त वो भी हमारी थी
आज जब मरने का शोक है तो एक भी क़ातिल नज़र नही आता
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
गर लफ्ज़ों में कर सकते बयान इंतेहा-ए-दर्द ए दिल
लाख तेरा दिल पत्थर का सही
कब का मोम कर देते
वक़्त और दोस्त मिलते तो मुफ्त हैं
लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता हैजब ये कहीं खो जाते हैं
कोई नामुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा
खुद पहचान लेगा जमाना तुझे तू भीड़ में भी अलग चल कर दिखा
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई