मेरी हर बात को उल्टा समझ लेते है वो
अब के पूछे तो कहना हाल बेहतर है

तुम ने देखी नही फुलो की वफा
वो जीस पर खीलते हे उसी पे मुरजा जाते हे

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है

काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते

सुलूक-ए-बेवफाई तो हम भी कर सकते हे जान
पर तू रोये ये हमे गवारा नही ।

कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
हम पहले भी बुरे थे अब थोड़ा और सही

" बड़ा आदमी वो हे ,जो अपने पास बेठे व्यक्ति को छोटा मेहसूस ना होने दे.."

स्याही थोड़ी कम पड़ गई वर्ना
किस्मत तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी

कैसे करुं मैं तेरी यादों की गिनती
कोई सांसों का हिसाब रखता है भला

सारे ताबीज गले में पहन कर देख लिए
आराम तो बस तेरे दीदार से ही मिला !!!

सुनो कोई और काम सौंप दो मुझको
ये क्या तुझको सोचना और सोचते ही रहना

सितम है लाश पर उस बेवफा का यह कहना; कि आने का भी न किसी ने इंतज़ार किया।

सिकंदर तो हम अपनी मर्जी से हें
पर हम दुनिया नहीं दिल जीतने आये हें

वो मिली भी तो सिर्फ Khuda के दरबार में
अब तुम ही बताओ Yaro हम इबादत करते या Mohhabat

प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है
जब तक आप इसका
अहसास नहीं कर लेते।