ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
मैं तो गजल सुना के तन्हा खड़ा रहा
सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए
एक नींद है जो रात भर नहीं आती,
और एक नसीब है, जो ना जाने कब से सो रहा है..
युं ही हम दील को साफ रखा करते थे
पता नही था की किमत चेहरो की होती हैँ
अपना इनाम लेकर ही मानेगा
ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा
राधे राधे
फिर से निकलेंगे तलाश-ए-ज़िंदगी में; दुआ करना इस बार कोई बेवफ़ा ना मिले।
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
हिसाब अपनी मोहब्बत का मै क्या दूँ?तुम अपनी हिचकियो को बसगिनते रहना...!
याद नहीं वो रूठा था...या मैं रूठा था
साथ हमारा बस जरा सी बात पे छूटा था
आता नहीं ख़याल अब अपना भी ऐ जलील एक बेवफ़ा की याद ने सब कुछ भुला दिया।
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
मेरी गर्ल फ्रेंड भी ना एकदम भुलक्कड़ है
कमीनी पैदा होना ही भुल गयी