वक्त के तराजू में अब किसे रखूँ
सांसों का हर रिश्ता वो तोड गया मुझसे

वक्त के तराजू में अब किसे रखूँ
सांसों का हर रिश्ता वो तोड गया मुझसे

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल

न आह सुने दी न तड़प दिखाई दी..
फ़ना हो गए तेरे इश्क में बड़ी ख़ामोशी के साथ..!

तुम्हारे पास ही होगा, जरा फिर से ढुंढो
मेरे सीने से दिल आखिर गया कहा

इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल

हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
हमारे शहर मैं पत्थर भी लाल होता है

हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
हमारे शहर मैं पत्थर भी लाल होता है

उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।

काबील नजरो के लीये हम जान दे दे पर
कोई गुरुर से देखे ये हमे मंजुर नही

अंजान तुम बने रहे ये और बात है
ऐसा तो क्या है कि तुमको हमारी खबर नहीं

लगा के आग दिल में चले हो कहाँ हमदम
अभी तो राख उड़ने पे तमाशा और भी होगा

जो ना समझ है वो ही मोहब्बत करता है
वो मोहब्बत ही क्या जो समझ में आ जाए

ये मासूमियत का कौन सा अन्दाज़ है,
पर काट कर कह दिया कि,अब तुम आजाद हो।

छोड़ दो किसी से वफा की आस ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं वो भुला भी सकता हैं