अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो
अक्सर कहता है दिल काश कोई होता
अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो
अक्सर कहता है दिल काश कोई होता
सिलसिला वफाओं का एक नया चलाया मैंने
न उसको याद रखा न ही भुलाया मैंने
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
एक तेरा ही नशा हमें मात दे गया वरना
मयखाना भी हमारे हाथ जोड़ा करता था
डूबी हैं उगंलिया अपने ही लहू मे
ये कांच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है
महसुस हो रही है सरगोशियां धडकनों की
लगता है एक पगला मेरे शहर आ रहा है
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं
हम अपने दिल की बात बताकर चले आये
सुना है महफ़िल में अभी तक ख़ामोशी है
मैं जख्म जख्म हूँ जाकर मिलू कीससे ? नमक से तर कपडे यहाँ सब पहेने हुए हैं..
तुम्हारे पास रहने को जगह नही है क्या
जो हर रात मेरी आँखो मे उतर आते हो
जो गिर गया उसे और क्यों गिराते हो,
जलाकर आशियाना उसी की राख उडाते हो ।
मुझे किसी के बदल जाने का गम नही
बस कोई था जिस पर खुद से ज्यादा भरोसा था
समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान
कोई वहम में रह जाता है और कोई अहम में
दिल की आवाज से नगमें बदल जाते हैं.:
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साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं..
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लड़की ढूंढनी होती तो कबकी ढूँढ लेते….
हम तो बादशाह है रानी ही ढूंढेग!.