हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हे
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही

जाने क्यूँ अपने हुस्न पर इतना गुरूर है उसे लगता है
उसका आधार कार्ड अब तक नहीं बना है

हवा खिलाफ थी लेकिन, चिराग भी क्या खूब जला
खुदा भी अपने होने के क्या क्या सबूत देता है

उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे ........!!"

उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं हे
ये दिल उसका हे अपना होता तो बात और होती

उसी जगह घर बनायेंगे एक दिन
जहा से तुमने धक्के मार के निकाला था

तुम्हारे दिल में

मेरी मौत के सबब आप बने; इस दिल के रब आप बने; पहले मिसाल थे वफ़ा की; जाने यूँ बेवफ़ा कब आप बने।

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नहीं मिला,
ये सिर्फ वही बोलती है जो मेरा दिल कहता है..!

"मै तेरी मजबूरिया समझता था इसलिए जाने दिया...
अब तु भी मेरी मजबूरिया समझ और वापस आ जा...!!"

अरे पगली मेरे फ़ोटो को इतना Zoom करके ना देख
कही पसंद आ गई तो प्यारहोने का कसुरहम पर आएगा

सोचा था सुनाएंगे सब गिले शिकवे उन्हें
मगर उनसे इतना भी न हुआ कि पूछें खामोश क्यूँ हो

मुहब्बत के ये आंसू है इन्हें आँखों में रहने दो
शरीफों के घरों का मसला बाहर नहीं जाता

मैने उस से कहा बहुत प्यार आता है तुम पर...
उसने कहा- और तुम गरीब लोगोँ को आता भी
क्या है ??

तुम न लगा पाओगे अंदाजा मेरी बर्बादियों का....
तुमने देखा ही कहा है मुझे शाम होने के बाद...

उसके नर्म हाथों से फिसल जाती है चीज़ें अक्सर
मेरा दिल भी लगा है उनके हाथो खुदा खैर करे