अब जाना की बेकार है उम्मिद-ए-वफा तुमसे..!!
शायद दिल ने कुछ ज्याद कर दी है ख्वाहिशे तुमसे....!!!
अब जाना की बेकार है उम्मिद-ए-वफा तुमसे..!!
शायद दिल ने कुछ ज्याद कर दी है ख्वाहिशे तुमसे....!!!
आसरा इक उम्मीद का देके मुझ से मेरे अश्क न छीन
बस यही एक ले दे के बचा है मुझ में मेरा अपना
किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ फ़राज़ कब तक; जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ।
बस इतनी सी बात पर मेंरा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!
हुनर अब आ गया मुझको वफाओं को परखने का; दिखावे की हर एक चाहत मैं वापिस मोड़ देता हूँ।
इंसान की फितरत को समझते हैं ये परिंदे
कितनी भी मोहब्बत से बुलाना मगर पास नहीं आयेंगे
वो जो तुमने एक दवा बतलाई थी
ग़म के लिए,
ग़म तो ज्यूं का त्यूं रहा
बस हम शराबी हो गये…
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता
उसकी माँ ने कहा:- बेटा तूने मेरी बेटी को क्या कर दिया है
रो रो के पागल हो गई है मैनें कहा:- Block
तूने मेरी Mohhabat की इंतेहा को समझा ही नहीं
Tere_badan से दुपट्टा भी सरकता था तो हम निगाह झुका लेते थे
लिखता हु केवल दिल की तसली के लिए, वरना जिन पर अशको का असर नही हुआ उनपे अलफाजो का कया होगा।
वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह....फिर हल्का सा मुस्कुराया,और कहा,महोबत की थी ना.......
इंसान भी कमाल करते हैं इतने सारे यंत्र भी बना लिए
फिर भी एक दूसरे का इस्तेमाल करते हैं
कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
खुशी में मदहोश और गम में मायूस मत होना
ये वक्त बड़ा खिलाड़ी है हर रोज़ अपनी चाल बदलेगा