कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा नही
Er kasz

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं

मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिन
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना

मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो कि
वो धोखा दे कर भी सोचे के वापस जाऊ तो किस मुंह से जाऊ

उमर लग जाती है एहसासों को अल्फ़ाज़ देने में
फ़क़त दिल टूटने भर से कोई शायर नहीं बनता
Er kasz

इरादा कत्ल का था तो मेरा सर कलम कर देते
क्यू इश्क मे डाल कर तुने ~हर साँस पर मौत लिख दी

मेरी लिखी किताब मेरे ही हाथो मे देकर वो कहने लगे
इसे पढा करो मोहब्बत करना सिख जाओगे

तुम मुझे अपना बना या ना बना तेरी मर्ज़ी
तू ज़माने में बदनाम तो आज भी मेरे नाम से ही हे

नफरत करनी हो तो हमसे इस कदर करना
के तुम छोड के जाओ तो हम किसी से मुहब्बत के काबिल न रहे

उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं
er kasz

इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा

हे ऊपर वाले हमें भी दिला दे कोई मिस कॉल मारने वाली
हमें इतना बैलेंस ऊपर लेके नहीं आना

मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो
मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना

बहाना क्युँ बनाते हो नाराज होने का
कह क्युँ नही देते अब दिल मेँ जगहा नही तेरे रहने की

वो कामयाबी ही क्या जो अपनों को भुला दे
और वो नाकामी ही क्या जो सारी उम्र के लिए रुला दे