वक्त आता हैं वक्त जाता हैं
वक्त को संभाल कर रखना मेरे दोस्त
वक्त बेवक्त काम आता हैं

बना दो वज़ीर मुझे भी इश्क़ की दुनिया का दोसतों
वादा है मेरा हर बेवफा को सजा ऐ मौत दूंगा

आशिक था एक मेरे अन्दर कुछ साल पहले गुज़र गया
अब कोई शायर सा है अजीब अजीब सी बातें करता है

मेरे बस मे हो तो लहरों को इतना हक भी ना दू
लिखू नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू

वक्त ने बदल दी तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा
पहले दोस्ती फिर अपनापन और अब अजनबी सा अहसास

मजबूरियों के दौर में जान से भी ज्यादा प्यारे लोग
बेवफा बेशक ना हों पर बदल जरुर जाते हैं

क़लम से लिख नही सकता मैं जख्मी दिल के अफसाने
मुझे तुमसे मुहब्बत है तेरे दिल की ख़ुदा जाने

तेरी वफाओं का समन्दर किसी और के लिए होगा
हम तो तेरे साहिल से रोज प्यासे ही गुजर जाते हैं

नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की
पता नहीं कहां से सीखी जालिम ने अदाएं रूठ जाने की

परख अगर हीरे की करनी है तो अंधेँरे का इन्तजार करो
वरना धुप मे तो काँच के टुकडे भी चमकते है

कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की
जो चाहता था कि शादी भी करूँ और ख़ुश भी रहूँ
Er kasz

तेरे संग भीगूँ मैं मोहबत्त की बरसात में
खुदा करे उसके बाद तेरे इश्क का मुझे बुख़ार हो जाये

एहसान किसी का वो रखते नही मेरा भी चुका दिया
जितना खाया था नमक मेरा मेरे जख्मों पर लगा दिया

बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों
प्रेम से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती

गिरे बुज़ुर्ग को उठाने भरे बाजार में कोई नहीं आया
गोरी का रुमाल क्या गिरा पूरा बाजार दौड़ आया