मेरी पागल सी मोहब्बत तुम्हे बहुत याद आएगी
जब हँसाने वाले कम और रुलाने वाले ज्यादा होंगे

प्रेम ही है जो बेंच के दोनों किनारों पर जगह खाली होने पर भी दो लोगों को बीच में खींच लाती है।

आग सूरज मैँ होती हैँ जलना जमीन को पडता हैँ
मोहब्बत निगाहेँ करती हैँ तडपना दिल को पडता हैँ

याद हमारी आए तो बीते कल कि किताब पलट लेना
यूं ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए मिल जायेगें

किसी मूर्ख से कभी तर्क ना करें
अन्यथा लोग यह नहीं पहचान पाएंगे की वास्तव में मूर्ख कौन है

दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे
पर ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी,
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी...

जी कर रहा है फिर से स्टूडेंट बन जाऊं ग़ालिब
सुना है आजकल उसने मोहल्ले में कोचिंग खोल ली है

तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है

कोई भी रस्सी या तार इतने ज़ोर से ना खींच सकती है ना बाँध सकती है जो प्यार एक धागे से कर सकता है।

"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..

प्रेम एक ऐसा कैनवास है जिस पर प्रकृति द्वारा​ सजाया गया है और कल्पनाओं ने कसीदाकारी की है।

तू गलती से भी कन्धा न देना मेरे जनाजे को ऐ दोस्त.
कहीं फिर जिन्दा न हो जाऊं तेरा सहारा देखकर

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद