उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

........."सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
"हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है !!

वो लाख तुझे पूजती होगी मगर तू खुश न हो ऐ खुदा
वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिए

वो जो कहते थे मिटा देगे हर याद मेरी दिल से
सुना है फकीरा उन से मेरा नाम तक न लिख कर मिटाया गया

तुमने कहाँ हम याद नहीं आएँगे तुम्हें फिर
बताना ज़रा ये सुबह-सुबह हमारा ज़िक्र क्युँ बोलो

झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती

स्क्रीन टच करने वाली तो हजारों मिली
yarro लेकिन तलाश है मुझे उस‪ छोरी‬ की जो दिल को‪ टच‬कर जाये

सस्ता सा छोटा सा घरौंदा पसंद है मुझे तेरी बाँहों का
इनमे मुझे दोनों जहां का सुकून मिलता है

गर लफ्ज़ों में कर सकते बयान इंतेहा-ए-दर्द ए दिल
लाख तेरा दिल पत्थर का सही
कब का मोम कर देते

तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम?
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !

`प्यार` `दिल` में होना चाहिये `लफ़्ज़ों` में नहीं और `नाराज़गी` `लफ़्ज़ों` में होनी चाहिये `दिल` में नहीं!

कितने स्वीट हो तुम मेरी सारे बातें मानते हो
रात को ख़्वाबों में आए थे और मुस्कुराकर चले गए

मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे हमारी तरह इन तन्हा रातों के

वक़्त और दोस्त मिलते तो मुफ्त हैं
लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता हैजब ये कहीं खो जाते हैं

बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई