अजीब मुकाम पर ठहरा है काफिला जिंदगी का
सुकून ढूँढ़ने चले थे और नींद ही गँवा बैठे

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज हाल हमारा पूँछ कर
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं

कभी फुरसत मिले तो बस इतना बता जाना
वो कौनसी मोहब्बत थी जो मैँ तुझे नहीँ दे पाया
G.R..s

प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं विलासिता नहीं उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकता।

अखलाक से ही पहेचान होती है इंसानो की
महेंगे कपडे तो पुतले भी पहनते है दुकानों में

कुछ इस कदर बुनेंगे अपनी तकदीर के धागे
कि अच्छे-अच्छों को भी झुकना पङेगा हमारे आगे

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…

बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थे। अब बात इतनी बढ़ गई कि तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता।

एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी गुजारने की
पर तेरी तरह मेरी तो ख्वाहिशे भी बेवफा निकली

रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया

लाखो दर्द छिप जाते है ऐक लम्हा इश्क़ में
लाखो खुशिया मिट जाती है ऐक लम्हा जुदाई में

जितना Attitude तुम अपनी सारी जिंदगी में नही कमा पाओगे
उतना तो हम apne पैग में घोल कर पी जाते है

खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों
मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है

कुछ खूबसूरत पलों की महक सी हैं तेरी यादें
सुकून ये भी है कि ये कभी मुरझाती नहीं हैं