तुमने तो कहा था मुझे हर पल याद करोगे.,
फिर मेरी हिचकियां बंध क्यूँ हो गयी.!!

शायरो को मस्त रखती हे दाद ऐ मोहुब्बत। एक वाह वाह में सौ बोतलों का नशा हे

दूर गगन में उड़कर भी..लौट आते हैं..!
परिंदे इन्सान की तरह बेपरवाह नही होते...

काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें; उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें।

सब तेरी मोहब्बत की इनायत है
वरना मैं क्या मेरा दिल क्या मेरी शायरी क्या

ख्वाब आँखों से गये नींद रातों से गयी
तुम गये तो लगा जिन्दगी हाथों से गयी

तुम्हें देखकर किसी को भी यकीन नही...
कि मेरे दिल का ये हाल तुमने ही किया है...

एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में; दुआ करो यारो इस बार कोई बेवफ़ा न मिले!

धडकन को उसकी याद से तकलीफ मिल रही है. . .
अगर मोहब्बत सजा है तो ठीक मिल रही है

कुछ मोहब्बत का नशा था पहले हम को फ़राज़ ; दिल जो टूटा तो नशे से मोहब्बत हो गयी।

ना जीने का शौक है मरने की तलब रखते हैं
दीवाने हैं हम दीवानगी गजब रखते हैं

तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समजा
वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही

कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी
हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने; बात तो सच है ये मगर बात है रुस्वाई की।

तू चाहे लाख नजरअंदाज करे मुझे
पर तेरी नजरों का अंदाज तो कुछ और ही कहता है