सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है

हजूम में था वो खुल कर ना रो सका होगा; मगर यकीन है कि शब् भर ना सो सका होगा।

इतनी अहमियत तो दोस्तो में बना ही ली है
कि मेला लग जायेगा उस दिन शमशान मे
जिस दिन मैं चला जाँऊगा आसमान मे

वो नदियाँ नहीं आंसू थे मेरे! जिस पर वो कश्ती चलाते रहे! मंजिल मिले उन्हें यह चाहत थी मेरी! इसलिए हम आंसू बहाते रहे!

हमसे दूर जाने का बहाना ना बना लेना; बस जाने की एक वजह बता देना; खुद चले जाएंगे आपकी जिंदगी से; लेकिन जहाँ आपकी याद ना आये; उस जगह का पता बता देना

इश्क़ वाले आँखों की बात समझ लेते हैं; सपनों में मिल जाए तो मुलाक़ात समझ लेते हैं; रोता तो आसमान भी है अपने बिछड़े प्यार के लिए; फिर पता नहीं लोग क्यों उसे बरसात समझ लेते है।

मौजूद थी उदासी अभी तक पिछली रात की
बहला था दिल ज़रा सा की फिर रात हो गई

वापसी का सफ़र अब मुमकिन न होगा। हम तो निकल चुके हैं - आँख से आंसू की तरह।

इन को नासिर न कभी आँख से गिरने देना; उन को लगते हैं मेरी आँख में प्यारे आँसू।

मुस्कुराने से भी होता है ग़म-ए-दिल बयां; मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं!

वो मैय्यत पे आए मेरी,और झुक के कान में बोले,
सच में मर गए हो या,कोई नया तमाशा है...!!

शिकायत तो नहीं कोई मगर अफ़सोस इतना है
मुहब्बत सामने थी और हम दुनिया में उलझे थे

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में; नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है।

बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैंने ख्वाब देखता है; कि आप आँसू बहाते सामने दुश्मन के बैठे हैं।

कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है; तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती है।