डर है मुझे तुमसे बिछड़ न जाऊं; खोके तुम्हें मिलने की राह न पाऊं; ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊं; मैं आंसू बन जाऊं!
डर है मुझे तुमसे बिछड़ न जाऊं; खोके तुम्हें मिलने की राह न पाऊं; ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊं; मैं आंसू बन जाऊं!
नम हैं आँखे मेरी मगर एक भी आंसू बह ना पायेगा; ये दिल भी कितना दगाबाज़ है यारो; खुद को भूल जायेगा मगर तुझे ना भूल पायेगा।
एक दिन हमारे आंसूं हमसे पूछ बैठे! हमे रोज़ - रोज़ क्यों बुलाते हो! हमने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं तुम क्यों चले आते हो!
मोहब्बत के सपने वो दिखाते बहुत हैं; रातों में वो हमको जगाते बहुत हैं; मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे; इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं।
जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें; आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें; ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया; वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें।
सुकून अपने दिल का मैंने खो दिया; खुद को तन्हाई के समंदर में डुबो दिया; जो था मेरे कभी मुस्कुराने की वजह; आज उसकी कमी ने मेरी पलकों को भिगो दिया।
प्यार की दास्तां जब भी वक्त दोहरायेगा! हमे भी एक शख्स बहुत याद आयेगा! जब उसके साथ बिताये लम्हें याद आयेंगे! आँखें नम हो जायेगी दिल आंसू बहायेगा!
दिल में हर राज़ दबा कर रखते हैं; होंठों पे मुस्कुराहट सज़ा के रखते हैं; यह दुनिया सिर्फ ख़ुशी में साथ देती है; इसलिए हम अपने आँसुओं को छुपा कर रखते हैं।
दिल तड़पता रहा और वो जाने लगे;संग गुज़रे हर लम्हे याद आने लगे;खामोश नजरो से देखा जो उसने मुड कर;तो भीगी पलकों से हम भी मुस्कराने लगे।
तुम गुनाह ही सही
मुल्ज़िम ने ख़्वाहिश आखिरी की है
रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए; धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए।
मेरे गम ने होश उनके भी खो दिए; मुझे समझाते-समझाते वो खुद ही रो दिए।
यह इक अदा रुलाएगी हमको तमाम उम्र; जाते हुए न प्यार से यूँ मुस्कुराए।
क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता; आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता।
पतंग सी हैं जिंदगी कहाँ तक जाएगी
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी