सब हसीं चेहरे धोखेबाज़ होते हैं; इस बात का हमें पहले इल्म ना था; अब हुआ इल्म तो रो-रो दिल कहे; किया पहले किसी ने ऐसा जुल्म ना था।

कैसी बीती रात किसी से मत कहना; सपनों वाली बात किसी से मत कहना; कैसे उठे बादल और कहां जाकर टकराए; कैसी हुई बरसात किसी से मत कहना!

उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते है; इस तरह जुदाई का गम उठा लेते है; किसी तरह ज़िक्र हो जाए उनका; तो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है।

अब तो यह भी नहीं नाम तो ले लेते हैं! दामन अश्कों से भिगो लेते हैं! अब तेरा नाम लेके रोते भी नहीं! सुनते हैं तेरा नाम तो रो लेते हैं!

हमें गम रहा जब तक दम में दम रहा; दिल के जाने और टूट जाने का गम रहा; लिखी थी जिस कागज पर हक़ीक़त हमारी; एक मुद्दत तक वो कागज़ भी नम रहा।

एक रात वो मिले ख्वाब में; हमने पुछा क्यों ठुकराया आपने; जब देखा तो उनकी आँखों में भी आँसू थे; फिर कैसे पूछते क्यों रुलाया आपने।

एक दिन जब हम दुनिया से चले जायेंगे; मत सोचना आपको भूल जायेंगे; बस एक बार आसमान की तरफ देख लेना; मेरे आँसू बारिश बनके बरस जाएंगे।

पलको के किनारे हमने भिगोए ही नहीं; वो सोचते है हम रोए ही नहीं; वो पूछते है ख्वाब में किसे देखते हो; हम है कि एक उम्र से सोए ही नहीं।

आँखों में आकर रुक जाते हैं आँसू; पलकों पर आकर रुक जाते हैं आँसू; मन तो करता है बह जाने दूँ इनको; पर आपकी हँसी को देख रुक जाते हैं आँसू।

तेरी याद में ज़रा आँखें भिगो लूं; उदास रात की तन्हाई में सो लूं; अकेले गम का बोझ अब सम्भलता नहीं; अगर तु मिल जाए तो तुझसे लिपट कर रो लूं।

कोई खुशियों की चाह में रोया; कोई दुखों की पनाह में रोया; अजीब सिलसिला है ये ज़िन्दगी का; कोई भरोसे के लिए रोया; और कोई ऐतबार कर के रोया!

माना कि प्यार किसी का मेरे पास नहीं; मगर तुम्हें मेरी मोहबबत का एहसास नहीं; जाने पी गए हम कितने ग़म-ए-आंसू; अब कुछ और पाने की प्यास नहीं।

मोहब्बत के सपने वो दिखाते बहुत हैं; रातों में वो हम को जगाते बहुत हैं; मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे; इन आँखों को वो रुलाते बहुत हैं।

नींद आँखों में नहीं ख़्वाब खो गए; तन्हा ही थे कुछ तेरे बिन हम हो गए; दिल कुछ तड़प उठा ज़ुबान भी लड़खड़ाई; तेरी याद में दो आँसू चुपके से बह गए।

जिन आँखों में मोहब्बत होती है; वो आँखें एक दिन जरूर रोती हैं; जिस तकिये पर सर रखकर ख्वाब संजोती हैं; एक दिन उसी तकिये को रोकर भिगोती हैं।