एहसास बहुत होगा जब छोड़ के जाएंगे; रोयेंगे बहुत मगर आँसू नहीं आएँगे; जब साथ कोई ना दे तो आवाज़ हमें देना; आसमान पर होंगे तो भी लौट के आएंगे।

दिल रोया पर आँखों को रोने ना दिया; सारी-सारी रात जागे खुद को सोने ना दिया; इतना करते हैं याद आपको; पर इस बात का एहसास आपको कभी होने ना दिया।

प्यार तो ज़िन्दगी का अफसाना है! इसका अपना ही एक तराना है! पता है सबको मिलेंगे सिर्फ आंसू! पर न जाने दुनिया में हर कोई क्यों इसका दीवाना है!

हमारे आंसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं! इसी अदा से वो दिल को चुराते हैं! हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को! इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं!

प्यार करके जताए ये जरुरी तो नहीं; याद करके कोई बताए ये जरुरी तो नहीं; रोने वाले तो दिल में ही रो लेते है; आँखों में आंसू आए ये जरुरी तो नहीं।

मेरी आंखों के आंसू कह रहे हैं मुझसे अब दर्द इतना है कि सहा नहीं जाता; मत रोक पलको से खुल कर छलकने दे; अब यूं इन आँखों में थम कर रहा नहीं जाता।

इस दिल ने अब प्यार करना छोड़ दिया; जिस दिन से तुमने ये दिल तोड़ दिया; अब तो रो भी नहीं सकते अपनी बेबसी पे; इस लिए इन आँखों ने अब रोना भी छोड़ दिया।

छूटा जो तेरा हाथ तो हम टूट के रोये; तुम जो ना रहे साथ तो हम टूट के रोये; चाहत की तमन्ना थी और ज़ख़्म दिए तुमने; पायी जो यह सौगात तो हम टूट के रोये।

लोग मोहब्बत को खुदा कहते है; अगर कोई करे तो उसे इल्जाम देते है; कहते हैं कि पत्थर दिल रोया नहीं करते; फिर क्यों पहाड़ों से झरने गिरा करते है।

आंसू ना होते तो आँखे इतनी हसीन ना होती; दर्द ना होता तो खुशियां क्या होती; पूरी करते खुदा यूँ ही सब मुरादे तो; इबादत की कभी जरुरत ही ना होती।

उसकी आँखों में कोई दुःख बसा है शायद; या मुझे खुद ही वहम सा हुआ है शायद; मैंने पूछा कि भूल गए हो तुम भी क्या; पोंछ कर आँसू आँख से उसने भी कहा शायद।

हमारें आंसू पोछकर वो मुस्कुराते हैं; इसी अदा से तो वो दिल को चुराते हैं; हाथ उनका छू जाए हमारे चेहरे को; इसी उम्मीद में तो हम खुद को रुलाते हैं!

लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते हैं; कोई करता है तो इल्जाम देते हैं; कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करते; और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते हैं!

हमें आंसुओ से ज़ख्मो को धोना नहीं आता; मिलती है ख़ुशी तो उसे खोना नहीं आता! सह लेते हैं हर गम को जब हँसकर हम; तो लोग कहते है कि हमें रोना नहीं आता!

मोहब्बत के भी कुछ राज़ होते हैं; जागती आँखों में भी ख़्वाब होते हैं; जरूरी नहीं कि गम में ही आंसू आयें; मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।