आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग

तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता

लिखता हु केवल दिल की तसली के लिए, वरना जिन पर अशको का असर नही हुआ उनपे अलफाजो का कया होगा।

हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन,
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को।।

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।

तुम मेरी बातों का जवाब नहीं देते तो कोई बात नहीं
मेरी क़ब्र पर जब आओगे तो हम भी ऐसा ही करेंगे

झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती

वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…

उन्हे शक है की हम उनके लिए जान नही दे सकते
पर हमें डर है की वो बहुत रोयेंगे हमें आजमाने के बाद

तेरी मोहब्बत कि तलब थी तो हाँथ फैला दिये
हमने वरना हम तो अपनी जिन्दगी के लिए भी दुआ नही मागते.

इरादा कत्ल का था तो सर कलम कर देते तलवार से
क्युँ इश्क में डाल के तुमने हर सांस पे मौत लिख दिया

जिंदगी मेरे कानो मे अभी होले से कुछ कह गई
उन रिश्तो को संभाले रखना जिनके बिन गुज़ारा नहीं होता

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग...
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जब "रूह" निकल जाएगी तो कफन हटा-हटा कर देखेंगे लोग.......

फुर्सत नहीं है इन्सान को घर से मन्दिर तक जाने की
ख्वाहिश रखता है श्मशान से सीधे स्वर्ग जाने की

साँसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम मेरे दोस्त
जिन्दा रहने के बावजूद भी मर जाते है कई लोग