मैं उसके हाँथों में था टूटे हुए शीशे की तरह
बड़ी उम्मीद थी कि वो बिखरने नहीं देगा
बस गिराया कुछ इस तरह से उसने मुझे
कि फिर सिमटने की आस न रही

मैं आज तक नहीं समझ पाया कि
लोगों को "ईश्वर" से शिकायत क्यों रहती हैं
उन्होने हमारे पेट भरने की जिम्मेदारी ली हैं भाई
पेटियां भरने की नहीं.

जीना चाहता हूँ मगर जिदगी राज़ नहीं आती
मरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आती
उदास हु इस जिनदगी से क्युकी उसकी यादे भी तो तरपाने से बाज नहीं आती

प्यार करने वाले मरते नही मार दिए जाते हैं हिंदू कहते हैं मारदो इन्हे
मुस्लिम कहते हैं दफ़ना दो इन्हे पर कोई ये क्यूँ नही कहता की मिला दो इन्हे

जीना चाहता हूँ मगर जिनदगी राज़ नहीं आती मरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आती
उदास हूँ इस जिनदगी से क्युकी उसकी यादे भी तो तरपाने से बाज नहीं आती

किसी को युँ रुलाया नहीं करते झूठे खवाब किसी को दिखाया नहीं करते
अगर कोई आपकी जिन्दगी में खास नहीं है तो उससे रह-रह कर ये एहसास दिलाया नहीं करते

किसी न किसी पर किसी को एतबार हो ही जाता है; अजनवी कोई शख्स यार हो ही जाता है; खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा; खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है।

उनका हाल भी कुछ आप जैसा ही होगा
आपका हाले दिल उन्हें भी महसूस होगा
बेकरारी के आग में जो जल रहे हैं आप
आपसे ज्यादा उन्हें इस जलन का एहसास होगा

उसकी याद हमें बेचैन बना जाती हैं हर जगह हमें उसकी सूरत नज़र आती हैं
कैसा हाल किया हैं मेरा आपके प्यार ने नींद भी आती हैं तो आँखे बुरा मान जाती हैं

अपनों से दूर है अपनों की तलाश ज़िन्दगी से दूर है ज़िन्दगी की तलाश
मैं अपने आप को कभी समझ नहीं पाया कि मैं जी रहा हूँ ज़िन्दगी या हूँ एक जिंदा लाश

अगर वो मांगते हम जान भी दे देते
मगर उनके इरादे तो कुछ और ही थे
मांगी तो प्यार की हर निशानी वापिस मांगी
मगर देते वक़्त तो उनके वादे कुछ और ही थे

ना ज़िक्र करो मेरी अदा के बारे में
हम भी जानते हैं वफा के बारे में
सुना है वो भी महोब्बत का शौंक रखते हैं
जिन्हे खबर ही नही कुछ वफा के बारे में

वो कौन सा दिन था जब तुम मिले थे
मौसम खुशनुमा था और गुल खिले थे
आज ना ही तुम हो और न ही वो मौसम
क्या जरूरत थी तुम्हे मिलने की
हम तो पहले ही भले थे

ये हम भी गंवारा करते हैं
ये तुम भी गंवारा कर लेना
रो रो के गुजारी है हमने
तुम हँस के गुजारा कर लेना
बेताबी हद से बढ़ जाऐ
और नींद आऐ रातों को

बदलना आता नहीं हमको मौसम की तरह
हर एक रूप में तेरा इंतज़ार करते हैं
न तुम समेट सकोगी जिसे क़यामत तक
कसम तुम्हारी तुम्हे इतना प्यार करते हैं