रहिये अब ऐसी जगह चलकर जहाँ कोई न हो; हम सुख़न कोई न हो और हम ज़ुबाँ कोई न हो; बेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाना चाहिए; कोई हमसाया न हो और पासबाँ कोई न हो; पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार; और अगर मर जाइए तो नौहाख़्वाँ कोई न हो।

ना जाने क्युँ मैं तुझसे कुछ ज्यादा रूठा करती हुँ
तेरी दूरी सह जाऐ इसके लिए दिल को अपने मनाया करती हुँ
कभी तो तुझे जैसे बहुत ही बुरा कह लेती हुँ
पर दोस्त जब तेरी दोस्ती की मिसालें याद आती है तो तुझे दुआऐं दिया करती हुँ

फिर से रूठ गया है मुझको मनाने वाला
जा रहा है छोड के मेरी जिन्दगी बनाने वाला
कभी तो उसको मैने भी मनाया था वो ख्वाब अब नहीं दिखाता दुनियाँ बनाने वाला
ऐ काश की हम भी जानते कैसे मनाते है किसी को
रूठ कर जाने ना देते उसे जो था

बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद

गुलसन है अगर सफ़र जिंदगी का तो इसकी मंजिल समशान क्यों है
जब जुदाई है प्यार का मतलब तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है
अगर जीना ही है मरने के लिए तो जिंदगी ये वरदान क्यों है
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है

गुलसन है अगर सफ़र जिंदगी का, तो इसकी मंजिल समशान क्यों है
जब जुदाई है प्यार का मतलब, तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है
अगर जीना ही है मरने के लिए, तो जिंदगी ये वरदान क्यों है
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है

कुछ बातें हमसे सुना करो कुछ बातें हमसे किया करो
मुझे दिल की बात बता डालो तुम होंठ ना अपने सिया करो
जो बात लबों तक ना आऐ वो आँखों से कह दिया करो
कुछ बातें कहना मुश्किल हैं तुम चहरे से पढ़ लिया करो
जब तनहा तनहा होते हो आवाज मुझे तुम दिया करो

बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को
जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद

सितम मेरे दिल पे वो यूँ ढाती रही
रात भर वो बेवफा याद आती रही
चाहता था जिसे में खुद से भी ज़्यादा
वो मूझे दर्द दे दे कर आज़माती रही
चिराग़-ए-दिल बुझाना चाहता था
वो मुझको भूल जाना चाहता था
मुझे वो छोड़ जाना चाहता था
मगर कोई बहाना चाहता था

मिला वो भी नहीं करते मिला हम भी नहीं करते
वफा वो भी नहीं करते वफा हम भी नहीं करते
उन्हें रुसवाई का दुख है हमें तनहाई का दुख है
गिला वो भी नहीं करते गिला हम भी नहीं करते
गली के किसी मोड पे टकराव हो ही जाता है
रुका वो भी नहीं करते रुका हम भी नहीं करते

उस ‪#‎इंसान‬ पर भरोसा करें जो आपके अंदर तीन बातें जान सके. . .
1- आपकी मुस्कुराहट के पीछे छिपा दुःख।
2- आपके गुस्से के पीछे छिपा प्यार।
3- आपके चुप रहने के पीछे का कारण।
"जो आपकी खामोशी से
आपकी तकलीफ का अंदाजा ना
कर सके,
उसके सामने जुबान से तकलीफ
बयान करना लफ्जों को जाया करना है।"

उल्फत का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
अपनी वफा का सोच के अन्जाम रो पड़े
हर शाम ये सवाल महोब्बत से क्या मिला
हर शाम ये जवाब की हर शाम रो पड़े
राह-ऐ-वफा में हमको खुशी की तलाश धी
दो कदम ही चले थे की हर कदम रो पड़े
रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला
अपने ही सिर लिया कोई इल्जाम रो पड़े

तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगी
अब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगी
तेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगी
अब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगी
कभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगी
फिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदगी
मैने हमेशा खुदा देखा तुझमें
क्यों खुदा ने बिगाड़ दी मेरी ज़िंदगी

सूरत हमारी देख ली उन्होने, दिल हमारा देख ना सके
खुशी हमारी देख ली उन्होने, गम हमारा देख ना सके
प्यार हमसे कर लिया उन्होने कदर हमारी कर ना सके
हँसी हमारी देख ली उन्होने आँसु हमारे देख ना सके
बेवफा हमें कहने लगे वो चाहत हमारी देख ना सके
ख्वाब समझ कर भूल गये हमें महोब्बत हमारी देख ना सके

सूरत हमारी देख ली उन्होने, दिल हमारा देख ना सके
खुशी हमारी देख ली उन्होने, गम हमारा देख ना सके
प्यार हमसे कर लिया उन्होने, कदर हमारी कर ना सके
हँसी हमारी देख ली उन्होने, आँसु हमारे देख ना सके
बेवफा हमें कहने लगे वो, चाहत हमारी देख ना सके
ख्वाब समझ कर भूल गये हमें, महोब्बत हमारी देख ना सके