क्या बनाने आये थे और क्या बना बैठे; कहीं मंदिर बना बैठे तो कहीं मस्जिद बना बैठे; हमसे तो जात अच्छी उन परिंदों की; जो कभी मंदिर पर जा बैठे तो कभी मस्जिद पे जा बैठे।

टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी
मेरी साँसों ने हर पर उसकी ख़ुशी मांगी
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से
के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी

शाम ढलते ढलते साया भी साथ छोड़ देता है
अब और कहाँ किसी का भी ऐतबार रहता है
आज कल वक़्त से निकल जाता हूँ घर के लिए
वहां मेरी तन्हाईओं को मेरा इंतज़ार रहता है

नजरे मिल जाती है मगर नजरिया नहीं
प्यार हो जाता है मगर उसका एहसास नहीं
एसा क्यों होता है जिन्दगी में की दोस्त हज़ार मिल जाते है
मगर एक सच्चा जीवनसाथी नहीं

कभी मुस्कारा के रोये कभी रो के मुस्काये
जब भी तेरी याद तब तुजे भुला के रोये
एक तेरा नाम था जिसे हजार बार लिखा
जितना लिख के खुश होवे उस से ज्यादा मिटा के रोये

देख कर उसको अक्सर हमे एहसास होता है
कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है
ये और बात है वो हर पल नही होता हमारे पास
मगर उसका दिया गम अक्सर हमारे पास होता है

कितना अजीब अपनी जिन्दगी का सफर निकला
सारे जहाँ का दर्द अपना मुकद्दर निकला
जिस के नाम अपनी जिन्दगी का हर लम्हा कर दिया
अफसोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला

कहते है हर बात जुबां से हम; इशारा नहीं करते; आसमां पर चलने वाले; जमीं से गुज़ारा नहीं करते; हर हालात बद्दलने की हिम्मत है हम में; वक़्त का हर फैंसला हम गवारा नहीं करते।

खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है

दवा है दर्द सीने में दवा उसकी दवा दी है ऐ मेरी रानी तुने मुझे किसकी सजा दी है
माना की तुने मुझे छोड़ दिया सारी जिन्दगी के लिए फिर भी खुदा से तेरे हँसने की दुआ की है

में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना
में उसके गम में शरीक हूँ पर मेरा गम न उसे बता देना
जिन्दगी कागज की किश्ती सही शक में न बहा देना

तेरी उल्फत को कभी नाकाम ना होने देंगे
तेरी दोस्ती को कभी बदनाम ना होने देंगे
मेरी जिंदगी में कभी सूरज निकले ना निकले
तेरी जिंदगी में कभी शाम नहीं होने देंगे

कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता
सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलानेअब
तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचानी को बस बादल समझता है
में तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

तेरा दिल उदास क्यों है तेरी आँखों में प्यास क्यों है
जो छोड़ गया तुझे मझदार में उससे मिलने की आस क्यों है
जो दे गया दर्द ज़िन्दगी भर का वही तेरे लिए ख़ास क्यों है