तुमको मिलके बीते हूए कल की याद आने लगी ज़िन्दगी जीने की तम्मना फिरसे खिल उठी
लेकिन जब तुम्हारे लबो के किसी और का नाम सुना तो ज़िन्दगी में फिर से अमावस का अँधेरा छा गया

समंदर पीड का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आँसु प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तु बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता

अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।

बेदर्द दुनिया में अभी जीना सीख रहा हूँ
अभी तो मैं दुखों के जाम पीना सीख रहा हूँ
कोशिश करूंगा तुम्हे मैं भी भुलाने की
अभी तो मैं तेरे झूठे वादों को भुलाना सीख रहा हूँ

हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जाने के ग़म में
वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं
बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें
वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं

मेरी ख्वाबिन्दा उम्मीदों को जगाया क्यों था
दिल जलना था तो फिर तुमने दिल लगाया क्यों था
अगर गिरना था इस तरहा नजरोसे हमें
तो फिर मेरे इस्सक को कलेजे से लगाया क्यों था

सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है; मगर जब गुफ़्तगू करता है चिंगारी निकलती है; लबों पर मुस्कुराहट दिल में बेज़ारी निकलती है; बड़े लोगों में ही अक्सर ये बीमारी निकलती है।

कितना प्यार दिया उसे हमारा ख्याल कुछ भी नही
इतनी गहरी चाहत का हासिल-ओ-हिसाल कुछ भी नहीँ
वो हम से खफा थे तो जान निकल गई थी हमारी
हम उसने खफा हैँ तो उनको मल्लाल कुछ भी नहीं

खुद ही तुमने महकती हवाओं में मिला दिया हमें
खुद ही तुमने इन पत्थरों पर चला दिया हमें
अब मिल गए है तुम में तेरी साँसों के जरिये
फिर कैसे मिलेंगे जब खुद ही भुला दिया हमें

मेरे अरमानों की खातिर मुझ से दूर चले जाओगे
मेरी ज़िद ऐसी है क्या कि हो मजबूर चले जाओगे
प्यार किया था न तुमने तो अब इतनी जल्दी क्या
अपना पागलपन छोडो तुम क्या दूर चले जाओगे

मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान
अक्सर मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है

चार कन्धे उनको भी मिलेंगे चार कन्धे हमको भी मिलेंगे
फूल उन पर भी बरसेंगे फूल हम पर भी बरसेंगे
बस फर्क इतना होगा उनका तो किसी को इन्तज़ार होगा
और हमारा अन्तिम संसकार होगा

जिंदगी में हद से ज्यादा ख़ुशी और हद से ज्यादा गम का कभी किसी से इज़हार मत करना,
क्योंकि, ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है हद से ज्यादा ख़ुशी पर नज़र और हद से ज्यादा गम पर नमक लगाती है.
=RPS

जिंदगी में हद से ज्यादा ख़ुशी और हद से ज्यादा गम का कभी किसी से इज़हार मत करना,
क्योंकि, ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है हद से ज्यादा ख़ुशी पर नज़र और हद से ज्यादा गम पर नमक लगाती है.
=RPS

वो ज़ालिम मेरी हर ख्वाहिश ये कह कर टाल जाता है​​​​;​​दिसम्बर जनवरी में कौन नैनीताल जाता है;​​मुनासिब है कि पहले तुम भी आदमखोर बन जाओ​​;​​कहीं संसद में खाने कोई चावल दाल जाता है।