वो मुहब्बत भी उसकी थी वो नफरत भी उसकी थी
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी
मैं अपनी वफा का इन्साफ किस से मांगता
वो शहर भी उसका था वो अदालत भी उसकी थी

मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा
सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा

जहाँ याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक़ अपनी मंज़िल तक जाना है हमें; लेकिन जहाँ से अपने न दिखें वो ऊंचाई किस काम की।

दिल में तुम्हारे अपनी कमी छोड जाऐंगे
आँखों में इंतज़ार की लकीर छोड जाऐंगे
याद रखना मुझे ढूँढते फिरोगे एक दिन
जिन्दगी में देस्ती की कहानी छोड जाऐंगे

वो रोए तो बहुत पर मुझसे मूह मोड़ कर रोए
कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़ कर रोए
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े
पता चला मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ कर रोए

दर्द देकर इश्क ने हमें रुला दिया
जिस से प्यार करते थे उसने ही हमें भुला दिया
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे
मगर उन्होने तो यादों में भी जहर मिला दिया

कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते
हर एक ने धोखा दिया किस-किस को भुला देते
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते

देख कर उसको अक्सर हमे एहसास होता है कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है
ये और बात है वो हर पल नही होता हमारे पास मगर उसका दिया गम अक्सर हमारे पास होता है

प्यार करने वालों की किस्मत बुरी होती है
मुलाक़ात जुदाई से जुडी होती है
वक़्त मिले तो प्यार की किताब पढ़ लेना
हर प्यार करने वाले की कहानी अधूरी होती है

हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​;
लोग निकले ही नहीं ​ढूंढने वालों की तरह​;
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​;
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।

कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं

प्यार करने वालो की किस्मत ख़राब होती हैं हर वक़्त इन्तहा की घड़ी साथ होती हैं
वक़्त मिले तो रिश्तो की किताब खोल के देखना दोस्ती हर रिश्तो से लाजवाब होती हैं

लगे है फोन जबसे​ ​तार भी नहीं आते​​;​​​बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते​​;​​​​गए है जबसे शहर में कमाने को लड़के​​;​​​​हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते।

बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझ से मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद

इस कदर जो आपको हँसा रहा हूँ मैं; न समझना कोई रिश्ता बना रहा हूँ मैं; स्वार्थ है मेरा और स्वार्थी हूँ मैं; बस अपनी अर्थी के पीछे चलने वालो की तादाद बढ़ा रहा हूँ मैं।