में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना
आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना
में उसके गम में शरीक हूँ पर मेरा गम न उसे बता देना
जिन्दगी कागज की किश्ती सही शक में न बहा देना

वो हमारी महफिल मे आऐ आ कर हमसे बात नही की
दिल को युँ लगा हमसे कुछ छुपाऐ बैठे है
कसम प्यार की हमसे रहा ना गया करीब जा के देखा तो
महंदी किसी ओर के नाम की लगाऐ बैठें है

वो रोया तो बहुत पर मुझसे मुह मोड़ के रोया
कोई मजबूरी होगी उसकी जो दिल तोड़ के रोया
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकड़े
पता लगा मेरे पीछे वो उन्हें जोड़ के रोया

तेरा दिल उदास क्यों है तेरी आँखों में प्यास क्यों है ?
जो छोड़ गया तुझे मझदार में उससे मिलने की आस क्यों है ?
जो दे गया दर्द ज़िन्दगी भर का वही तेरे लिए ख़ास क्यों है ?

दवा है दर्द सीने में दवा उसकी दवा दी है
ऐ मेरी रानी तुने मुझे किसकी सजा दी है
माना की तुने मुझे छोड़ दिया सारी जिन्दगी के लिए
फिर भी खुदा से तेरे हँसने की दुआ की है

आँख में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो;​​​ ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो;​​​ ले तो आये शायरी बाज़ार में राहत मियाँ;​ क्या ज़रूरी है की लहजे को भी बाज़ारी रखो।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये​;​ चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ​;​ चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों​;​ जब मुसीबत सर पे आ जाए तो याद आती है माँ।

मेरी ख्वाबिन्दा उम्मीदों को जगाया क्यों था दिल जलना था तो फिर तुमने दिल लगाया क्यों था
अगर गिरना था इस तरहा नजरोसे हमें तो फिर मेरे इस्सक को कलेजे से लगाया क्यों था

कोई रूठा हुआ शख्स आज बहुत
याद आया.....
><
एक- गुजरा हुआ वक्त आज बहुत
याद आया.....
><
छुपा लेता था जो मेरे दर्द को सीने
मे अपने.....
><
आज- फिर दर्द हुआ तो वह बहुत
याद आया.....

तुमको मिलके बीते हूए कल की याद आने लगी ज़िन्दगी जीने की तम्मना फिरसे खिल उठी
लेकिन जब तुम्हारे लबो के किसी और का नाम सुना तो ज़िन्दगी में फिर से अमावस का अँधेरा च गया

उसकी यादों को किसी कोने में छुपा नहीं सकता
उसके चेहरे की मुस्कान कभी भुला नहीं सकता
मेरा बस चलता तो उसकी हर याद को भूल जाता
लेकिन इस टूटे दिल को मैं समझा नहीं सकता

उसकी यादों को किसी कोने में छुपा नहीं सकता
उसके चेहरे की मुस्कान कभी भुला नहीं सकता
मेरा बस चलता तो उसकी हर याद को भूल जाता
लेकिन इस टूटे दिल को मैं समझा नहीं सकता

किसी ने मुझसे पुछा की :
"तुम इतने खुश कैसे
रेह लेते हो…??"
तो मेने कहा :-
"मैनें ज़िन्दगी की गाड़ी
से वो साइड ग्लास
ही हटा दिया,
जिसमे पीछे छूटे रास्ते नज़र आते हैं..!

शायद ज़िंदगी में हम उनको पहेले से ही जान लेते
उनके कदमो कि आहत पहेले से ही पहेचान जाते
तो शायद हमारे दिल का ये हाल ना होता
और ज़िंदगी में आज उस बेवफ़ा का नाम ना होता

सोचा की आज फिर से महोब्बत कर लूँ
फिर से उनकी आँखे अपनी आँखों से पढ लूँ
उनकी हर बात पर मैं ऐतबार कर लूँ
पर जब आँख खुली तो वो एक सपना था
वो दूर जा चुका था जो कल तक अपना था