वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी

जाने क्या सोच के लहरे साहिल से टकराती हैं; और फिर समंदर में लौट जाती हैं; समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं; या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।

जिनके दिल पे लगती है चोट वो आँखों से नही रोते
जो अपनो के ना हुए किसी के नही होते
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते

जब दिल टुटता है तो आवाज नहीं आती
महोब्बत हर किसी को रास नहीं आती
ये तो अपनी-अपनी बात है यारो
कोई किसी को भुला नहीं पाता
और किसी-किसी को याद नहीं आती

महफील भी रोयेगी, हर दिल भी रोयेगा
डुबी जो मेरी कस्ती तो साहील भी रोयेगा
हम इतना प्यार बीखेर देगे इस दुनीयाँ में के
मेरी मौत पे मेरा कातील भी रोयेगा

बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी
मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी

इस डूबी हुई नाव का किनारा हो तुम; मेरी ज़िंदगी का आखिरी अंजाम हो तुम; यूँ तो हर मुश्किल को पार करने की हिम्मत है मुझमे; बस तुम को खोने के अंजाम से डरते हैं हम।

" बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होते,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते ,
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत ,
उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते। "

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!
पूछा जो हमने किसी और के होने लगे हो क्या ?
वो मुस्कुरा के बोले … पहले तुम्हारे थे क्या .?

लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया; जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया; पहले कहाँ ये नाज़ थे ये इश्वा-ओ-अदा; दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया।

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा; इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा; हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा।

एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की
मैने पल पल कोशिश उसके पास जाने की
किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की
दूर हुई मुझसे इतना जितनी उमीद थी करीब आने की

वो हर बार अगर रूप बदल कर न आया होता,
धोका मैने न उस शख्स से यूँ खाया होता,
रहता अगर याद कर तुझे लौट के आती ही नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैने तुझे यु न गवाया होता।

आँखों से आंसू न निकले तो दर्द बड जाता है
उसके साथ बिताया हुआ हर पल याद आता है
शायद वो हमें अभी तक भूल गए होंगे
मगर अभी भी उसका चेहरा सपनो में नज़र आता है

कौन कहता है इश्क़ में बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ में बस इंकार होता है
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो
क्यूंकि इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतज़ार होता है.