किसी ने मुझसे पूछा कैसी है अब जिंदगी
मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया वो खुश है

कटी पतंग का रूख़ तो था मेरे घर की तरफ
मगर उसे भी लूट लिया ऊंचे मकान वालों ने

उज़ड़ जाते है सर से पाव तक वो लोग
जो किसी बेपरवाह से बेपनाह मोहब्बत करते है

ज़रा देखना दरवाज़े पे कोई कुछ देने आया है
ज़ख्म हो तो रख लेना इश्क़ हो तो रफा दफा

ना समेट सकोगे कयामत तक जिसे तुम
कसम तुम्हारी तुम्हें इतनी मुहब्बत करते हैं

निगाहों में इतना करंट तो होना चाहिए की
सामने वाली अपना दुपट्टा सही करने लगे

तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को; ना कोई काम करता है ना कोई बात सुनता है!

गर काबिलियत है मोहब्बत के पैमाने आपके लिए
तो नहीं अब मेरी मोहब्बत के क़ाबिल आप

यूँ तो नहीं कि हमारी जरूरतों में शामिल तुम नहीं अब
बस अधूरापन ही रास आने लगा अब

तुम गर्दन उठा कर भी जी सकते हो दुनिया में
बस एक दिन अपना मोबाइल घर पर ही भूल जाना

मुझसे ये जुदाई का गम पिया नहीं जाता; कोई दो गिलास व्हिस्की के ही पिला दो बर्फ डाल के!

तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते है

वो भी क्या दिन थे जब रिश्तेदार 10 का नोट दे के जाते थे
और मम्मी 8 TDS काट के 2 पकड़ा देती थी

जीत गया तू मैं आखिर हार गई
कई रुख धारें मोडीं ह्रदय में प्रेम की नदिया आखिर सूख गई

अखलाक से ही पहेचान होती है इंसानो की
महेंगे कपडे तो पुतले भी पहनते है दुकानों में