कोई खुशियों की चाह में रोया; कोई दुखों की पनाह में रोया; अजीब सिलसिला है ये जिंदगी का; कोई भरोसे के लिए रोया; तो कोई भरोसा करके रोया।

धीरे धीरे दिल ने धड़कना सीखा! धीरे धीरे दिल ने सम्भलना सीखा! धीरे धीरे हर राह पर चलना सीखा! और धीरे धीरे हर मौसम में हमने हंसना सीखा!

ज़िंदगी में हम ने कभी कुछ चाहा ही नहीं; जिसे चाहा उसे कभी पाया ही नहीं; जिसे पाया उसे यूँ खो दिया; जैसे ज़िंदगी में कभी कोई आया ही नहीं।

सपनों की मंज़िल पास नहीं होती; ज़िंदगी हर पल उदास नहीं होती; ख़ुदा पे यकीन रखना मेरे दोस्त; कभी-कभी वो भी मिल जाता है जिसकी आस नहीं होती।

एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर

गम न हो वहां जहाँ हो फ़साना आपका; खुशियाँ ढूढती रहें आशियाना आपका; वो वक़्त ही न आये जब आप उदास हों; ये दुनिया भुला न सके मुस्कुराना आपका।

ज़िंदगी हसीं है इससे प्यार करो;हर रात की नयी सुबह का इंतज़ार करो; वो पल भी आएगा जिसका आपको इंतज़ार है;बस अपने रब पर भरोसा और वक़्त पर ऐतबार करो।

जाने कौन सा तराना है ये ज़िन्दगी; बिना बात का फ़साना है ये ज़िन्दगी; एक अरस गुज़र गया पत्तों के साथ गिरे हुए; पर आज भी उम्मीद का खज़ाना है ज़िन्दगी!

सोच ये ना रखें कि मुझे रास्ता अच्छा मिले बल्कि ये होना चाहिए कि
मैं जहां पाव रखूं वो रास्ता अच्छा हो जाए जो अपने कदमों की काबिलियत पर
G.R..s

बिना गम के ख़ुशी का पता कैसे चलेगा; बिना रोंए हुए हंसी का मज़ा कैसे मिलेगा; जो उसे करता हैं उसे वही जानता है; अगर हम जान गए तो उसे खुदा कौन कहेगा!

आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर; आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर; सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे; जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर।

हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनिया; जाने के बाद क्यों भुलाती है दुनिया; जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी है; जो मर जाने के बाद भी जलाती है दुनिया।

ज़िंदगी पल-पल ढलती है; जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है; शिकवे कितने भी हों पर हर पल हँसते रहना; क्योंकि ये ज़िंदगी जैसी भी एक है बस एक ही बार मिलती है।

जिंदगी से हम गिला नहीं करते; किस्मत जिनकी न हो वो मिला नहीं करते; दिल पे जख्म कुछ ऐसे खायें हैं हमने; जितने यह गहरे हैं उतने कभी सिला नहीं मिलते।

जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं: सांस और साथ सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है; पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।