हसरतों की जहर बुझी लौ में मोम सा दिल जला दिया हमने; कौन बिजली की धमकियां सहता आशियाँ खुद जला दिया हमने।

आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी माँग ली मैंने; सबसे ज्यादा खुद का दिल दुखाया है औरों को खुश करने में।

नज़र चाहती है दीदार करना; दिल चाहता है प्यार करना; क्या बतायें इस दिल का आलम; नसीब में लिखा है इंतजार करना!

नज़र और नसीब के मिलने का इत्तेफ़ाक़ कुछ ऐसा है; कि नज़र को पसंद हमेशा वही चीज़ आती है जो नसीब में नहीं होती है।

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत नहीं हुई; जिसको चाहा उसे अपना न सके जो मिला उससे मुहब्बत न हुई।

​कहने वालों का कुछ नहीं जाता​;सहने वाले कमाल करते हैं;कौन ढूंढें जवाब दर्दों के​;​लोग तो बस सवाल करते है।

चंद कलियाँ निशात की चुनकर; मुद्दतों मायूस रहता हूँ; तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही; तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ।

ना छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का; बड़ी लम्बी यह कहानी है; हारे नहीं हम अपनी ज़िन्दगी से; यह तो किसी अपने की मेहरबानी है।

कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते में; वर्ना संभलना हम भी जानते थे; ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से; जिसे हम अपना मानते थे!

सपनों की तरह आकर चले गए; ग़मों की नींद सुलाकर चले गए; किस भूल की सज़ा दी हमकों; पहले हंसाया और फिर रुलाकर चले गए।

वादा करते तो कोई बात होती; मुझे ठुकराते तो कोई बात होती; यूँ ही क्यों छोड़ दिया दामन; कसूर बतलाते तो कोई बात होती।

तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए; मै जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए! कर लेना लाख शिकवे हमसे; मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए!

कम से कम ​तन्हाई तो साथी है​;​ अपनी ​जिंदगी के हर एक पल की​;​​ चलो ये शिकवा भी दूर हुआ कि​;​​ किसी ने साथ नहीं दिया​।

हर शाम कह जाती है एक कहानी ! हर सुबह ले आती है एक नई कहानी ! रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन ! मंजिल रह जाती है वही पुरानी !

कोई उम्मीद बर नहीं आती​;​​​​​​कोई सूरत नज़र नहीं आती;​​​​मौत का एक दिन मु अय्यन है​;​​​नींद क्यों रात भर नहीं आती​।