मेरे प्यार को बहकावा समझ लिया उन्होंने; मेरे एहसास को पछतावा समझ लिया उन्होंने; मैं रोती रही उनकी याद में पर हुआ ये कि; मुझे ही बेवफ़ा समझ लिया उन्होंने।

दिलों को खरीदने वाले लोग हज़ार मिल जायेंगे; तुमको दगा देने वाले बार-बार मिल जायेंगे; मिलेगा न हमें तुम जैसा कोई; मिलने को तो लोग हमें बेशुमार मिल जायेंगे!

आदतन तुमने कर दिए वादे आदतन हमने ऐतबार किया; तेरी राहों में बारहा रुक हमने अपना ही इंतज़ार किया; अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब ये गुनाह हमने एक बार किया!

हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैं; मगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकला; मैंने सोचा कि शिकायत करू खुदा से; मगर वह भी उनके चाहने वालों में निकला!

हर वक़्त का हंसना तुझे बर्बाद ना कर दे; ​तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर; ​ए दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ; ​तु हल्का-ए-याराना में भी मोहतात रहा कर।

और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई; शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया; तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी; या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया।

कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर; जब चाहा याद किया जब चाहा भुला दिया; बहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीके; जब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया।

कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था; सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था; सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है; जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।

मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था; दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था; ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी; यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था।

मैं सुपुर्दे ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे; कब्र पर मेरी तु उसके साथ आना छोड़ दे; हो सके गर तु खुशी के अश्क पीना सीख ले; या तु आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।

हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है​;​शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है​;​कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम​;​​और एक वो है​ जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है​। ​

अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है; एक नज़र मेरी तरफ देख तेरा जाता क्या है; मेरी बर्बादी में तू भी है बराबर का शामिल; मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है!

दिल से मिले दिल तो सजा देते है लोग​;​​​प्यार के जज्बातों को डुबा देते है लोग;​​​दो इँसानो को मिलते कैसे देख सकते है​;​जब साथ बैठे दो परिन्दो को भी उठा देते है लोग...

ज़िंदा रहे तो क्या है जो मर जाएं हम तो क्या; दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जाएं हम तो क्या; हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने; एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।

ज़िंदा रहे तो क्या है जो मर जायें हम तो क्या; दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जायें हम तो क्या; हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने; एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।