रेत पर नाम लिखते नहीं; रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं; लोग कहते हैं पत्थर दिल हैं हम; लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं।

सजा लबों से अपने सुनाई तो होती; रूठ जाने की वजह बताई तो होती; बेच देता मैं खुद को तुम्हारे लिए; कभी खरीदने की चाहत जताई तो होती।

गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई; खुला हुआ था दरीचा सबा नहीं आई; हवा-ए-दश्त अभी तो जुनूँ का मौसम था; कहाँ थे हम तेरी आवाज़ नहीं आई।

अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर वक़्त गुजार लिया!

इस कदर हम यार को मनाने निकले; उसकी चाहत के हम दीवाने निकले; जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा; उसके पास वक़्त ना होने के बहाने निकले।

काश वो नगमें हमें सुनाए ना होते; आज उनको सुनकर ये आंसू ना आए होते; अगर इस तरह भूल जाना ही था; तो इतनी गहराई से दिल में समाए ना होते।

मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है; उसे खबर है कि मुझे बद्दुआ नहीं आती; सब कुछ सौप दिया उसे हमने; फिर भी वो कहता है हमें वफा नहीं आती!

एक दिन हम तुम से दूर हो जायेंगे; अंधेरी गलियों में यूं ही खो जायेंगे; आज हमारी फिक्र नहीं है आपको; कल से हम भी बेफिक्र हो जायेंगे।

भूल गए या भुलाना चाहते हो? दूर कर दिया या जाना चाहते हो? आजमा लिया या आजमाना चाहते हो? मैसेज कर रहे हो या अभी और पैसे बचाना चाहते हो?

दिल से दूर जिन्हें हम कर ना सके; पास भी उन्हें हम कभी पा ना सके; मिटा दिया प्यार जिसने हमारे दिल से; हम उनका नाम लिख कर भी मिटा ना सके।

दीवाने तेरे हैं इस बात से इनकार नहीं; कैसे कहें कि हमें आपसे प्यार नहीं; कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का; हम अकेले तो गुनेहगार नहीं।

तुझे मोहब्बत करना नहीं आता; मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं; ज़िंदगी गुज़ारने के दो ही तरीके हैं; एक तुझे नहीं आता एक मुझे नहीं आता!

काश आपकी सूरत इतनी प्यारी ना होती; काश आपसे मुलाक़ात हमारी ना होती; सपनो में ही देख लेते हम आपको; तो आज मिलने की इतनी बेकरारी ना होती!

इस कदर हम यार को मनाने निकले! उसकी चाहत के हम दिवाने निकले! जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा! उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले!

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है; खामोशियों की आदत हो गई है; ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से; अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाईयों से हो गई है।